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भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus Second Wave) की घातक दूसरी लहर में बच्चे भी काफी ज्यादा प्रभावित हुए हैं. इसका खुलासा एक-एक कर सीरो-सर्वे से हो रहा है. मुंबई में आधी पीडियाट्रिक आबादी, यानी कि 18 साल से कम आबादी में कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडीज पाई गई हैं. बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के सीरो-सर्वे से पता चला है कि मुंबई में बच्चों की 50 प्रतिशत आबादी ने अपेक्षित तीसरी लहर से पहले एंटीबॉडीज विकसित कर ली है. ये सीरो सर्वे 1 अप्रैल से 15 जून के बीच किया गया था.
BMC कमिश्नर आई.एस. चहल ने बताया कि ओवरऑल सीरो-पॉजिटिविटी 51.18% है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र में 54.36% और निजी क्षेत्र में 47.03% शामिल है. ये दिखाता है कि हेल्थ केयर सेटिंग में आधी से ज्यादा पीडियाट्रिक आबादी पहले ही कोविड के संपर्क में आ चुकी है.
चहल और एडिन म्यूनिसिपल कमिश्नर सुरेश काकनी की देखरेख में डॉक्टरों की एक टीम ने ये सर्वे किया, जिसमें जयंती शास्त्री, सची अग्रवाल, गार्गी काकनी, सुरभि राठी, रमेश भारमल, चंद्रकांत पवार, कुसुम जश्नानी और गायत्री अमोनकर शामिल थे.
अलग-अलग पब्लिक (1,283) और निजी लैब्स (893) द्वारा प्राप्त सैंपल से कुल 2,176 ब्लड सैंपल्स में ये टेस्ट किया गया. रिजल्ट दिखाता है कि 50% से ज्यादा बच्चों में कोविड के प्रति एंटीबॉडीज हैं और पिछले सर्वे की तुलना में अनुपात में भी वृद्धि हुई है.
कुछ दिनों पहले WHO और AIIMS की साझा स्टडी में भी कई शहरों में बच्चों में एंटीबॉडीज देखी गई थीं. इस स्टडी में सबसे ज्यादा सीरोप्रेवलेंस दक्षिणी दिल्ली के शहरी इलाकों में पाया गया, जो कि 74.7 फीसदी है. गोरखपुर ग्रामीण में 2-18 आयु वर्ग में काफी ज्यादा सीरोप्रेवलेंस 87.9 फीसदी देखने को मिला, जबकि 18+ में ये आंकड़ा 90.3 फीसदी था.
दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कुछ दिनों पहले कहा कि अगले 6 से 8 हफ्तों में तीसरी लहर आ सकती है. उन्होंने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक देश की आधी से ज्यादा आबादी को वैक्सीन नहीं लग जाती है, तब तक किसी भी तरह की लापरवाही ठीक नहीं होगी.
कोविड के नए वेरिएंट्स सामने आने के कारण भी तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है. भारत में कोविड की दूसरी लहर के पीछे डेल्टा वेरिएंट था. वहीं, अब डेल्टा प्लस वेरिएंट के भी कई मामले सामने आ रहे हैं.
(IANS के इनपुट्स के साथ)
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