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कलकत्ता हाई कोर्ट के एक वरिष्ठ जज ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए नारदा स्टिंग मामले को लेकर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल सहित हाई कोर्ट के सभी जजों को लेटर लिखा है. इस लेटर में मामले को हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के ‘हस्तक्षेप’ और एक सीबीआई कोर्ट से टीएमसी के 4 नेताओं को मिली जमानत पर रोक लगाने पर सवाल उठाए गए हैं. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.
24 मई की तारीख वाला लेटर, सीबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच के आदेश को चुनौती देने के बाद लिखा गया, इस आदेश में मंत्रियों सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को हाउस अरेस्ट करने का निर्देश दिया गया था. लेटर में सीबीआई की याचिका को स्वीकार करने और कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच को सौंपने को लेकर सवाल उठाए हैं.
लेटर में कहा गया है, ''क्या किसी आपराधिक मामले के ट्रांसफर के मामले में शक्ति का इस्तेमाल करने वाला हाई कोर्ट, उस स्तर पर, अपनी पहल पर स्टे का आदेश जारी कर सकता था, यह दूसरा सवाल है.''
21 मई को, हाउस अरेस्ट का आदेश दिया गया था, जबकि मामले को लेकर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और जस्टिस अरिजीत बनर्जी की राय अलग-अलग थीं. जस्टिस बनर्जी जहां जमानत देने के पक्ष में थे, वहीं कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बिंदल ने हाउस अरेस्ट का समर्थन किया.
17 मई को, चार टीएमसी नेताओं को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, लेकिन उसी दिन सीबीआई की एक अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी. हालांकि, सीबीआई ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जजों से विशेष सीबीआई अदालत से हाई कोर्ट में केस को ट्रांसफर करने, 17 मई को एजेंसी अदालत में हुई कार्यवाही को कानून की नजर में अमान्य घोषित करने और कार्यवाही को नए सिरे से शुरू करने का अनुरोध किया था.
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