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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) ने ठोस और तरल कचरे का वैज्ञानिक रूप से प्रबंधन करने में नाकाम रहने के लिए बिहार पर 4,000 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है. वहीं, इस पर बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BUIDCO) का कहना है कि NGT द्वारा राज्य सरकार पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया है, बल्कि अपशिष्ट प्रबंधन (Waste Management) के कार्यों को करने के लिए उक्त राशि का प्रावधान कर उसको अलग खाते में रखकर उपयोग करने का आदेश दिया गया है, जिससे ठोस एवं तरल कचरे के उपचार कार्य संबंधी योजनाएं तेजी से की जा सके.
BUIDCO का कहना है कि NGT द्वारा अन्य राज्यों को भी अपशिष्ट प्रबंधन के कार्यों को तीव्र गति से कराने के लिए इसी तरह "Ring Fenced Account" खोलकर उसमें चिन्हित राशि रखने एवं योजनाओं को पूरा करने का आदेश दिया गया है. निगम का कहना है कि बिहार में तरल कचरे का उपचार करने के लिए वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में कुल 841.6 MLD क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की योजनाएं हैं.
साथ ही 373.3 MLD क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का DPR (Detailed Project Report) तैयार कर नेशनल मिशन फॉर गंगा (NMCG) को स्वीकृति के लिए भेजी गई है. पटना के अतिरिक्त बिहार के अन्य शहर जैसे, बेगूसराय, मुंगेर, हाजीपुर छपरा, मुजपफरपुर और बिहारशरीफ में भी STP निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है. दिसंबर 2023 तक कुल अतिरिक्त 170.5 MLD क्षमता के STP का निर्माण पूरा हो जाएगा, जिससे तरल कचरे के मेनेजमेंट में बढ़ोत्तरी होगी.
राज्य सरकार द्वारा राज्य योजना मद से राजगीर में 10 MLD (minimal liquid discharge) क्षमता के STP का निर्माण कराया गया है. साथ ही बोधगया में 10 MLD क्षमता के STP का निर्माण कराया जा रहा है, जो अंतिम चरण में है. बिहार राज्य के अन्य महत्वपूर्ण शहर जैसे- गया, बेतिया, आरा और कटिहार में भी तरल अपशिष्ट प्रबंधन (liquid waste management) के लिए STP का DPR तैयार कर NMCG से स्वीकृति के लिए अनुरोध किया गया है. साथ ही 76 छोटे शहरों में राज्य योजना मद एवं अन्य योजना मद से Fecal Studge Treatment Plant (FSTP) के माध्यम से Septage Management करने की योजना तैयार की जा रही है.
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की पीठ ने निर्देश दिया है कि जुर्माने की राशि दो महीने के अंदर ‘रिंग-फेंस खाते' में जमा कराई जाए और मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुसार इसका इस्तेमाल राज्य में सिर्फ वेस्ट मैनेजमेंट के लिए किया जाए.
बता दें, रिंग-फेंस खाते में जमा राशि के एक हिस्से को विशिष्ट उद्देश्य के लिए आरक्षित रखा जाता है.
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