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मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट में नक्सलियों की सक्रियता एक बार फिर बढ़ गई है. वो किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं. नक्सलियों की अचानक बढ़ी गतिविधियों ने पुलिस को भी सकते में ला दिया है, यही कारण है कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपना संयुक्त अभियान तेज कर दिया है.
बालाघाट महाराष्ट्र के गोंदिया और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की सीमा से जुड़ा है. इन दोनों जिलों में नक्सली गतिविधियां चलती रहती हैं. पिछले कुछ दिनों से बालाघाट में भी एक बार फिर नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ी हैं. हथियारबंद नक्सली लांजी थाना क्षेत्र के चिलकोना गांव से नेगलाल सिंह का अपहरण कर ले गए थे, उसके बाद से नेगलाल का कोई पता नहीं चल पाया है. इतना ही नहीं, कई गांवों में नक्सलियों की बैठकें भी हो रही हैं.
बालाघाट के पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने मीडिया से कहा,
राज्य में नक्सल समस्या पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि बालाघाट के अलावा कई दूसरे क्षेत्रों में भी इनकी सक्रियता बढ़ रही है. राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वी के सिंह भी पूर्व में मान चुके हैं कि "नक्सली राज्य में अपना विस्तार कर रहे हैं. बालाघाट के साथ ही वे मंडला में सक्रिय हैं और अपना प्रभाव डिंडोरी के अलावा अमरकंटक में भी बढ़ाना चाहते हैं."
बालाघाट क्षेत्र में नक्सलियों ने सबसे पहले 16 दिसंबर, 1999 को बड़ी वारदात को अंजाम दिया था, जिसमें तत्कालीन परिवहन मंत्री लिखीराम कांवरे की हत्या की गई थी. इस हत्याकांड में शामिल जमुना को इसी साल मार्च में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई में मार गिराया था. जमुना पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा पांच लाख रुपये का इनाम, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आठ लाख रुपये का इनाम, जिला गोदिंया (महाराष्ट्र) की पुलिस द्वारा छह लाख रुपये का इनाम और सीबीआई द्वारा भी 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था.
सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में नक्सलियों पर सुरक्षा बलों की खास नजर है, उनके अभियान भी जारी हैं. इसके चलते कई नक्सली बालाघाट सहित मध्यप्रदेश के अन्य हिस्सों की तरफ रुख कर गए हैं. उनका यहां पहले से नेटवर्क है और इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ाने का उन्हें आसानी से मौका भी मिल सकता है.
इनपुट:IANS
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