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यूपी चुनाव में OBC आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को दरकिनार करते हुए OBC आरक्षण को रद्द करते हुए फौरन चुनाव कराने का आदेश दिए हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रिपल टेस्ट के बगैर OBC को कोई आरक्षण न दिया जाए. ऐसे में बगैर OBC को आरक्षण दिए स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं. इस पर विपक्ष ने BJP पर निशाना साधा है. वहीं, BJP फैसले का अध्ययन कर कोर्ट जाने की बात कर रही है.
कोर्ट ने राज्य सरकार को ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग बनाए जाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने चुनाव के संबंध में सरकार द्वारा जारी 5 दिसंबर 2022 के अनंतिम ड्राफ्ट आदेश को भी निरस्त कर दिया. न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने मंगलवार को यह निर्णय ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनाया.
निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी. इसके बाद ही नगरीय निकाय चुनाव कराया जाएगा.
सीएम योगी ने कहा कि आवश्यक हुआ तो माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करके प्रदेश सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी.
कोर्ट के फैसले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट कर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण को खत्म करने के कोर्ट के फैसले पर बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि "बहुत दुर्भाग्य है कि हमारा पिछड़ों का हक छीना जा रहा है. BJP ने हमेशा आरक्षण विरोधी काम किए हैं. इन्हें संविधान की किसी भी व्यवस्था से मतलब नहीं है. बाबा साहेब अंबेडकर ने जो अधिकार दिए थे, उन अधिकारों को धीरे-धीरे BJP छीनना चाहती है.
यूपी कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष मनोज यादव ने यूपी निकाय चुनाव में OBC आरक्षण को खत्म किए जाने पर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बीजेपी सामाजिक न्याय और पिछड़ा विरोधी है. हार के डर से बीजेपी नगर निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है. बीजेपी अनुषांगिक संगठनों के लोगों से याचिकाएं डलवाकर कोर्ट के जरिए पिछड़ों का हक लूटना चाहती है.
कोर्ट के फैसले पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श करने के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, लेकिन पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
वहीं, अपना दल (S) के कार्यकारी अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने कहा कि OBC आरक्षण के बिना निकाय चुनाव किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है. हम इस संदर्भ में लखनऊ उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले का अध्ययन कर रहे हैं. जरूरत पड़ी तो अपना दल (S) OBC के हक के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा.
दरअसल, रैपिड और ट्रिपल टेस्ट के तहत जिला प्रशासन की देखरेख में नगर निकायों द्वारा वार्डवार OBC वर्ग की गिनती कराई जाएगी. इसके आधार पर ही OBC की सीटों का निर्धारण करते हुए इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाएगा.
ट्रिपल टेस्ट: कोर्ट के मुताबिक नगर निकाय चुनावों में OBC का आरक्षण निर्धारित करने से पहले एक आयोग का गठन किया जाएगा, जो निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति का आकलन करेगा. इसके बाद पिछड़ों के लिए सीटों के आरक्षण को प्रस्तावित करेगा. दूसरे चरण में स्थानीय निकायों द्वारा OBC की संख्या का परीक्षण कराया जाएगा और तीसरे चरण में शासन के स्तर पर सत्यापन कराया जाएगा.
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