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वीडियो प्रोड्यूसर- कनिष्क दांगी
वीडियो एडिटर- वरुण शर्मा
ओडिशा में कुछ लोगों ने समरू मदकामी नाम के 14 वर्षीय ईसाई लड़के की हत्या करके उसके शव को जंगल में दफना दिया. यह घटना मलकानगिरी जिले स्थित केंदुगुड़ा गांव की है. समरू और पिता उन्गा मदकामी ने 3 साल पहले ईसाई धर्म अपनाया था. उन्गा मदकामी के मुताबिक, जब से उन्होंने ईसाई धर्म अपनाया था, तभी से गांव के कुछ लोग उन्हें लगातार परेशान कर रहे थे.
उन्होंने बताया,
हालांकि, स्थानीय पुलिस इसे मुख्य तौर पर अंधविश्वास से जुड़े मामले के तौर पर देख रही है. मलकानगिरी एसपी ऋषिकेश का कहना है कि इस मामले में अंधविश्वास प्रमुख वजह नजर आ रही है, अगर कोई दूसरा एंगल होगा तो पुलिस उसे भी देखेगी.
समरू ने बहुत कम उम्र में अपनी मां को खो दिया था. ऐसे में उसके पिता ही उसका पालन-पोषण कर रहे थे.
घटना के बारे में समरू के एक रिश्तेदार ने बताया कि 4 जून की रात कुछ ग्रामीणों, जिनमें देबा मदकामी, बुद्रा मुचाकी, अता कबासी, राबू मैडी शामिल थे, ने समरू मदकामी से जंगल में होने वाली एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए कहा था, यही लोग समरू को जबरन उठाकर अपने साथ ले गए थे.
समरू के इन दोनों रिश्तेदारों में से एक ने बताया, ''उनके (आरोपियों के) पास चाकू और तांगला मौजूद थे. उन लोगों ने मुझे जान से मारने की धमकी देते हुए जबरन अपहरण करने की कोशिश की, लेकिन मैं किसी तरह बच कर भाग निकला.'' रैगलैंड के मुताबिक, उन्गा नामक इसी रिश्तेदार ने 5 जून को पुलिस के पास जाकर इस मामले की शिकायत दर्ज कराई.
रैगलैंड ने बताया, ''इसके बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा, जिन्होंने पूछताछ में कबूल कर लिया कि उन्होंने ही समरू ही हत्या की है. इसके बाद पुलिस आरोपियों को लेकर उस जगह पहुंची, जहां समरू की बॉडी को दफना दिया गया था और पुलिस ने बॉडी को निकाला.''
इस बीच, समरू के पिता ने बताया, "फिलहाल 3 परिवारों के साथ हमने अपना गांव छोड़ दिया है और लोकल प्रीस्ट बिजय पुसरु के पास मलकानगिरी में रह रहे हैं. हमें उम्मीद है कि मेरे बेटे समरू को इंसाफ मिलेगा."
ईसाई समुदाय के साथ हुई घटनाओं पर करीब से नजर रखने वाले एक्टिविस्ट शिबू थॉमस ने इस मामले पर कहा, ''पिछले 4 सालों में मैंने ईसाई उत्पीड़न के 1500 से ज्यादा मामलों को देखा है. यह अब तक ईसाई उत्पीड़न का सबसे तकलीदेह मामला है. यह शातिर क्रूरता धार्मिक कट्टरपंथियों की कलंकित मानसिकता और रवैये को उजागर करती है. धार्मिक असहिष्णुता का यह भयावह और संक्रामक अत्याचार अब नई अमानवीय ऊंचाइयों पर पहुंच गया है.”
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