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बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटों में इस बार बीजेपी को कुल 17 सीटें ही मिली है. ऐसे में पिछले चुनाव में पार्टी के जीते हुए 22 सांसदों में से 5 सांसदों का टिकट कटना तय है. ऐसे में पार्टी के कोटे से मंत्रियों को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं.
राधा मोहन सिंह, आरके सिंह, गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे और रामकृपाल यादव में से सिर्फ कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का ही टिकट पक्का माना जा रहा है. इनके अलावा बाकी के सभी सांसद डेंजर जोन में हैं.
पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं, जबकि दरभंगा के भाजपा सांसद कीर्ति आजाद अब कांग्रेस का 'हाथ' थाम चुके हैं और बेगूसराय के सांसद भोला सिंह का निधन हो चुका है. महाराजगंज की सीट बीजेपी की सहयोगी जेडीयू के खाते में चली गयी है.
लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. ऐसे में बिहार के राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के सांसद पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है. सीतामढ़ी से पार्टी के सांसद राम कुमार शर्मा के खिलाफ सोमवार को आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में एक मामला दर्ज किया गया है.
स्थानीय पुलिस के मुताबिक सांसद के खिलाफ ये मुकदमा नगर थाना में दर्ज किया गया है. जिलाधिकारी के आदेश पर उनके खिलाफ रविवार को आचार संहिता के उल्लंघन करने के मामले में FIR दर्ज कर लिया गया है.
सांसद रामकुमार शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने रविवार की शाम अपने सांसद निधि से उपलब्ध कराई गए एंबुलेंस वाहन सेवा का उद्घाटन कर उसे रवाना किया था. उन्होंने ऐसा चुनाव की आधिकारिक घोषणा के बाद किया था.
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विभिन्न पार्टियों के नेताओं को पत्र लिखकर टीवी समाचार चैनलों के 'डिबेट' का बहिष्कार करने की अपील की है.
तेजस्वी ने राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को पत्र लिखकर ट्वीट किया है.
अपने ट्वीट में तेजस्वी ने मीडिया के बड़े तबके पर भी निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि मीडिया का एक बड़ा तबका भाजपा को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिए उसकी तरफदारी कर रहा है.
लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. सभी राजनीतिक दल इस लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए कमर कस चुके हैं. बिहार में इस बार मुकाबला राज्य की सत्ताधारी एनडीए गठबंधन और आरजेडी, कांग्रेस, आरएलएसपी के महागठबंधन के बीच है.
एनडीए के नेता इस बार राज्य में अपनी सरकार के विकास के काम पर वोट मांग रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन को भी एनडीए के नेता बड़ी प्रमुखता से इस बार का स्थानीय चुनावी मुद्दा बना रहे हैं.साथ ही सत्तारूढ़ दलों के नेता विपक्ष को मुद्दा विहीन भी बता रहे हैं.
विपक्षी महागठबंधन के नेताओं की माने तो उनके पास मुद्दों की कमी नहीं है. मगर इस चुनाव में उनकी स्ट्रेटेजी है जनता को सरकार के वादों को याद दिलाना. साथ ही सवर्ण आरक्षण और ओबीसी आरक्षण का मामला भी प्रमुखता से रहने की उम्मीद है. इसके अलावा विपक्ष सेना के बलिदान को लेकर की जा रही राजनीति को भी अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने वाली है.
आगामी लोकसभा की तारीख की आधिकारिक घोषणा होते ही राज्य में राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी भी तेज हो गई है. प्रमुख विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने चुनाव आयोग की तिथियों की घोषणा पर ही सवाल उठा दिया है.
आरजेडी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल पूछते हुए कहा कि ये सब बीजेपी की रणनीति के अनुसार किया गया है.
वहीं प्रदेश की सत्ताधारी दल बीजेपी ने इस पर कड़ा प्रहार किया है. बीजेपी ने इसपर हमला करते हुए कहा कि विपक्षी दल को अब संविधान पर भी भरोसा नहीं रह गया है. साथ ही बीजेपी ने विपक्ष पर हताशा में हार के बहाने ढूंढने का भी आरोप लगाया है.
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