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सीएम नीतीश कुमार ने राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर बीते 20 दिनों के अंदर दूसरी बार बैठक की. नीतीश कुमार ने शराब के धंधेबाजों को पकड़ने के लिए विचार करने और उसके लिए मुस्तैद रहने पर बल देते हुए सीनियर अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन पुलिस अधिकारियों की शराब के धंधेबाजों के साथ मिलीभगत हो, उनके खिलाफ भी विभागीय स्तर पर कड़ी कार्रवाई की जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘शराबबंदी से समाज के वातावरण में काफी बदलाव आया है. अगर यहां के अधिकारी और यहां के लोग शराबबंदी को खत्म करने के लिए पूरे भावनात्मक तौर पर इसके पीछे लग जाएं, तो यह पूर्णत: प्रभावकारी होगा और देश में एक मिसाल बनेगा. इसके लिए सभी को प्रेरित करने की जरूरत है.’’
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने हाल ही में झारखंड और पश्चिम बंगाल में मॉब लिंचिंग पर गहरी चिंता जताते हुए पीएम से मांग की है कि दक्षिणपंथी उग्रवाद पर रोक लगे. कुशवाहा ने पीएम से इन घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए इन पर काबू पाने के लिए तत्काल कदम उठाएं.
कुशवाहा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को तीन तलाक की शिकार महिलाओं की तो बड़ी फिक्र है लेकिन उन मुस्लिम महिलाओं की नहीं जिनके पतियों को दक्षिणपंथी गुंडे हत्या कर विधवा बना रहे हैं. उन्होंने सरकार से कहा है कि सरकार को तत्काल जल्द कड़े कदम उठाने चाहिए ताकि देश का हर नागरिक खुद को सुरक्षत महसूस कर सके.
बिहार में मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने मुजफ्फरपुर सहित 20 जिलों में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौतों के लिए बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से इस्तीफे की मांग की है.
तिवारी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री को मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत की नैतिक और प्रशासनिक जवाबदेही लेते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए. बता दें कि बिहार में एईएस से 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले सहित करीब 20 जिलों में एक्यूट इंसेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से 150 से ज्यादा बच्चों की मौत का मुख्य कारण कुपोषण और गरीबी माना जा रहा है. इन बच्चों की मौत के बाद सरकार अब बच्चों को कुपोषण से निजात दिलाने के लिए अभियान शुरू करने जा रही है.
आरोप है कि बिहार के कई जिलों में आंगनबाड़ी केंद्र महीने में 10 दिन काम नहीं करते. निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार में पोषण अभियान को गति देने के लिए प्रखंड समन्वयक तैनात होंगे. उन्होंने कहा कि निदेशालय की योजना कुपोषण के खिलाफ जन जागरूकता का प्रसार करना है और छह साल तक के बच्चों में कुपोषण की दर को वर्तमान की 38.4 फीसदी से 2022 तक 25 फीसदी पर लाने की योजना है.
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