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बिहार में कोरोना संक्रमण से नए क्षेत्र प्रभावित होने लगे हैं।.इस बीच, सोमवार को 68 लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जिससे राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 345 तक पहुंच गई है. इसके साथ ही कोरोना प्रभावित जिलों की सूची में मिथिलांचल के तीन जिले-मधुबनी, दरभंगा और पूर्णिया भी जुड़ गए हैं. राज्य स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि सोमवार की शाम तक आई जांच रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में 68 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जिससे राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 345 तक पहुंच गई है.
उन्होंने बताया कि सोमवार को पॉजिटिव पाए गए लोगों में मुंगेर के 22, पटना के छह, रोहतास के 16, नवादा, दरभंगा, पूर्णिया और सारण के एक-एक, औरंगाबाद के पांच, भोजपुर के सात, लखीसराय के तीन और मधुबनी के पांच लोग शामिल हैं. राज्य में संक्रमित लोगों में से दो की मौत हो चुकी है, जबकि 56 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. उन्होंने बताया कि सोमवार सुबह तक राज्य में 18,369 नमूनों की जांच की जा चुकी है.
बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण से प्रभावित 25 जिलों में सबसे अधिक 90 मामले मुंगेर जिले में सामने आए हैं, जबकि पटना में 39, नालंदा में 34 और सीवान में 30 मामले सामने में आए हैं.
बिहार को आरबीआई ने ऋण चुकाने के लिए एक हजार करोड़ रुपये भुगतान की अनुमति दी है. सरकार का मानना है कि आरबीआई भुगतान की अनुमति नहीं देती तो सरकार को अपने राज्यकोष से यह राशि देनी पड़ती. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि लोक ऋण के इस वर्ष की पहली किस्त चुकाने की अंतिम तिथि 27 अप्रैल को आरबीआई ने सिंकिंग फंड की ब्याज राशि 1,942़ 90 करोड़ रुपये में से एक हजार करोड़ रुपये के प्रयोग की अनुमति दे दी है.
उन्होंने कहा, "अगर आरबीआई भुगतान की अनुमति नहीं देता तो सरकार को अपने राज्यकोष से यह राशि देनी पड़ती. अब सरकार आने वाले दिनों में इतनी राशि और विकास कार्यों पर खर्च कर सकेगी." मोदी ने कहा कि 2009 में सिंकिंग फंड के गठन के बाद राज्य सरकार पहली बार इसकी ब्याज राशि का उपयोग लोक ऋण की किस्त चुकाने के लिए कर रही है.
बिहार के वित्त मंत्री मोदी ने कहा, "विभिन्न किस्तों में इस साल ऋण के तौर पर कुल 7,035 करोड़ रुपये चुकाना है. राज्य के सिंकिंग फंड में 7,683़02 करोड़ जमा है, जिसमें मूलधन 5740़12 करोड़ व उसकी ब्याज राशि 1,942़ 90 करोड़ रुपये है."
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान राजस्थान के कोटा में फंसे बिहार के छात्रों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार लॉकडाउन के नियमों पालन कर रहा है. नीतीश कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कहा कि कुछ राज्य कोटा से अपने राज्य के छात्रों को वहां से निकाल ले गए हैं. कोटा में बिहार के भी कई-छात्र छात्राएं कोचिंग सेंटर में पढ़ाई करते हैं, और लॉकडाउन की वजह से वहां फंसे हुए हैं.
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि बिहार सरकार लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन कर रही है,जब तक लॉकडाउन के नियमों में संशोधन नहीं किया जाएगा, तब-तक किसी को वापस बुलाना संभव नहीं है. केंद्र सरकार इसे लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने की भी मुख्यमंत्री ने बात कही.
नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों की भी जानकारी दी. उल्लेखनीय है कि कोटा में बिहार के बच्चों के फंसे होने के कारण विपक्ष नीतीश सरकार पर लगातार निशाना साध रही है, इसे लेकर नीतीश कुमार की सरकार बैकफुट पर है.
सनातन धर्म की परंपरा के मुताबिक, पूर्वजों (पितरों) को मोक्ष दिलाने के लिए प्रसिद्ध मोक्षस्थली गया में इन दिनों पिंडदान के बाद सुफल देने वाले गयापाल पंडा ही पिंडदान कर यहां की पुरानी परंपरा निभा रहे हैं. हिंदू सनातन धर्मावलंबियों के लिए मोक्ष भूमि गया की पहचान मोक्षस्थली के रूप में की जाती है, मान्यता है कि यहां विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंड देने के बाद पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
गया की परंपरा रही है कि यहां प्रतिदिन 'एक मुंड और एक पिंड' आवश्यक है. लॉकडाउन के कारण यहां पिंडदानी नहीं पहुंच रहे हैं, जिस वजह से इस परंपरा को खुद यहां के गयापाल पंडा विष्णुपद मंदिर परिसर में कर रहे हैं.
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