Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच तेज हुआ विवाद, BFUHS वाइस चांसलर का पद खाली

पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच तेज हुआ विवाद, BFUHS वाइस चांसलर का पद खाली

Aam Aadmi Party and Vice-Chancellor Controversy: BFHUS में क्यों Vice Chancellor का पद खाली ?

क्विंट हिंदी
राज्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>पंजाब के मुख्यमंत्री और राज्यपाल</p></div>
i

पंजाब के मुख्यमंत्री और राज्यपाल

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

राज्यपाल और आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के बीच बढ़ती खींचतान के बीच पंजाब के बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (BFHUS) करीब तीन महिमे से बगैर कुलपति (Vice Chancellor) के चल रहा है. राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में इस महीने फरीदकोट में स्थित BFHUS के कुलपति के रूप में प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ गुरप्रीत सिंह वांडर की नियुक्ति को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. वहीं राज्यपाल ने सरकार को तीन उम्मीदवारों के पैनल के गठन का निर्देश दिया. राज्यपाल के निर्देश के बाद लुधियाना में हीरो डीएमसी हार्ट इंस्टीट्यूट के मुख्य हृदय रोग विशेषज्ञ वांडर ने अपनी उम्मीदवारी वापस को वापस ले लिया है.

BFHUS में क्यों Vice Chancellor का पद खाली ?

देश के शीर्ष आथोर्पेडिक सर्जनों में से एक राज बहादुर ने 30 जुलाई को फरीदकोट में गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की यात्रा के दौरान स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा द्वारा अपमान करने का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद यह पद खाली है. दरअसल, यात्रा के दौरान मंत्री ने कुलपति राज बहादुर को एक मरीज के गंदे बिस्तर पर लेटने को कहा था.

जिसके बाद राज्यपाल ने 11 अक्टूबर को एक चयन समिति द्वारा पद के लिए कम से कम तीन उम्मीदवारों के एक पैनल की मांग करके वांडर को नियुक्त करने के सरकार के फैसले को खारिज कर दिया. मुख्यमंत्री मान ने 30 सितंबर को वांडर को बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के कुलपति के रूप में नियुक्त करने की ट्वीट के द्वारा घोषणा की.

''हमें उम्मीद थी कि उनके कुशल नेतृत्व में यह संस्था जनसेवा में अहम योगदान देगी।''
भगवंत मान, मुख्यमंत्री (पंजाब)

राजभवन और सरकार के बीच तनावपूर्ण स्थिति बरकरार?

एक अधिकारी ने माना कि वांडर की नियुक्ति को ठुकराने के साथ राजभवन और सरकार के बीच पहले से ही चल रहा तनावपूर्ण संबंध और बिगड़ गया है.

अपने फैसले को सही ठहराते हुए मान ने मीडिया से कहा कि अगर वह चाहते हैं तो सरकार तीन नामों का पैनल नियुक्ति के लिए भेजेगी.साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि परंपरा यह है कि राज्यपाल सरकार द्वारा प्रस्तावित नाम पर सहमति देता है.

हालांकि इस मुद्दे की पर राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने IANS को बताया कि जब पूर्व कुलपति राजबहादुर को इस पद पर नियुक्त किया गया था, तब तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार ने इस पद के लिए तीन नाम भेजे थे.

इस मुद्दे पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के.एस. औलख ने कहा कि सरकार को प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था. उन्होंने सवाल किया कि "जब राज्यपाल ने इसे मंजूरी नहीं दी तो सरकार ने वांडर के बारे में घोषणा कैसे की"

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
पिछले एक साल में मैंने किसी भी व्यक्ति के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला, बल्कि मैं मुख्यमंत्री की तारीफ करता रहा हूं
बनवारीलाल पुरोहित, राज्यपाल (पंजाब)

राज्यपाल ने एक कदम आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री को सतबीर सिंह गोसल को लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कुलपति के पद से हटाने का निर्देश देते हुए उनकी नियुक्ति को अवैध बताया. उन्होंने कहा कि "गोसाल को राज्य सरकार ने यूजीसी के नियमों का उल्लंघन कर नियुक्त किया था."

अपने फैसले को सही ठहराते हुए पुरोहित ने पिछले हफ्ते राजभवन में एक बातचीत में मीडिया से कहा था कि विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में वह अपना कर्तव्य निभा रहे हैं.

मैं अपना कर्तव्य निभाऊंगा,मैंने संविधान की रक्षा की शपथ ली है. मुख्यमंत्री को इसका एहसास होना चाहिए. मैंने उन्हें मुख्यमंत्री को पद की शपथ दिलाई.
बनवारीलाल पुरोहित, राज्यपाल (पंजाब)

करोड़ों में लगती है कुलपतियों के पद बोली: राज्यपाल

पुरोहित ने कहा, "मैं चार साल तक तमिलनाडु का राज्यपाल रहा. वहां बहुत बुरा हुआ. तमिलनाडु में वाइस चांसलर के पद 40 करोड़ से 50 करोड़ रुपये में बेचा गया."

वाइस चांसलरों की नियुक्ति के संबंध में चल रहे विवाद के जवाब में एक प्रसिद्ध शिक्षाविद ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए आईएएनएस से कहा कि शिक्षा को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए.उन्होंने कहा, उच्च शैक्षणिक योग्यता वाले कुलपति को नियुक्त करने के लिए एक उच्च स्तरीय खोज समिति की नियुिक्त की जानी चाहिए.

अधिकांश शिक्षाविदों का मानना है कि संवैधानिक प्रमुख और सरकार के बीच चल रहे संघर्ष के कारण बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के कामकाज पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. एक सरकारी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ने तीन महीने के कार्यकाल के बाद पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में गोसाल की नियुक्ति को सुर्खियों में लाने पर आश्चर्य व्यक्त किया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT