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बिहार और उत्तर प्रदेश में आरआरबी-एनटीपीसी को लेकर जारी बवाल के बीच राजस्थान में शिक्षक भर्ती की सबसे बड़ी परीक्षा 'रीट' (REET) के पेपर लीक होने की खबर सामने आ गई है. एसओजी द्वारा इस धांधली का खुलासा करने के बाद अब परीक्षा में पास हुए 11 लाख अभ्यार्थियों को अपने भविष्य की चिंता खाए जा रही है.
इनमें से 33 हजार को तो तृतीय श्रेणी अध्यापक पद पर नियुक्ति देने की कवायद भी शुरु हो गई थी.
राजस्थान सरकार का रोजगार परीक्षाओं में लगातार फेल होना नौकरी मिलने के सपने संजोए बैठे लाखों नौजवानों को तोड़ रहा है.
राजस्थान में परीक्षाओं के संदेह में आने का क्रम पिछले तीन सालों में तेजी से बढ़ा है. प्रदेश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा राजस्थान प्रशासनिक सेवा में हुए चयन को लेकर सवाल उठे हैं. सवाल खुद तत्कालीन शिक्षा मंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के परिवार से जुड़े सदस्यों के चयन होने पर उठाए गए हैं.
पिछले तीन साल में राजस्थान में भर्ती परीक्षा करवाने वाली संस्था राजस्थान लोकसेवा आयोग और कर्मचारी अधीनस्थ सेवा बोर्ड औपचारिक रूप से 26 परीक्षाओं को रद्द कर चुका है. इनमें से कर्मचारी अधीनस्थ बोर्ड ने तीन परीक्षाओं में पेपर लीक होने को कारण माना है.
बाकी परीक्षाओं को प्रशासनिक कारण बता कर रद्द कर दिया गया. इन परीक्षाओं में बैठने के लिए लाखों अभ्यार्थियों ने आवेदन किए थे.
बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि परीक्षाओं में धांधली निचले स्तर से संभव नहीं है. इसलिए इस प्रकरण की सीबीआई जांच होने पर ही सब सामने आएगा.
राजस्थान एकीकृत महासंघ के संयोजक उपेन यादव इस मसले पर 9 फरवरी को विधानसभा घेराव का ऐलान कर चुके हैं. यादव का कहना है कि सरकार रीट परीक्षा की जांच तो करवा रही है लेकिन जहां संदेह के तार जुड़ रहे हैं ऐसे लोगों को पद पर बैठा रखा है. ऐसे में निष्पक्ष जांच कैसे होगी.
यादव ने बताया कि विधानसभा के घेराव में सरकार से पेपेर लीक से जुड़े मामलों को गैर जमानती कानून में बदलने और दोषी व्यक्तियों की संपत्तियों को नीलाम करने का नया कानून बनाने की मांग की जाएगी.
रीट परीक्षा के आयोजन को देखें तो प्रदेश भर में इस परीक्षा की तैयारी को लेकर प्रशासनिक अमला झोंका गया था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भर्ती को देख रहे थे. गोविन्द सिंह डोटासरा हर दिन मीटिंग कर परीक्षा की ऐतिहासिक सफलता का दावा कर रहे थे.
यहां तक की इंनटरनेट सेवाओं को ठप्प कर दिया गया था. परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यार्थियों के सेन्टर्स भी उनके घर से 300 किलोमीटर तक दूर दिए गए थे. इसके बावजूद भी पेपर लीक हुआ.
उन्होंने कहा कि, पाराशर को कोऑडिनेटर, बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली ने बनाया था. यही वो तार है जो पेपर लीक के इस प्रकरण को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तक ले जाते हैं. हालांकि बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली का दावा है कि पेपर लीक को लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.
उन्होंने कहा कि एसओजी जांच कर रही है. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
पेपर लीक की बात की जाए तो इसका संदेह परीक्षा के दूसरे ही दिन से सामने आ गया था. पुलिस ने अलवर से अक्टूबर 2020 में ही पेपर लीक के संदेह में तीन आरोपियों को पकड़ कर इस तरफ इशारा कर दिया था कि पेपर आउट हुआ है.
इसके बावजूद भी अपनी साख को साबित करने के लिए राज्य सरकार और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इसे अपनी उपलब्धियों के साथ जोड़ते हुए 36 दिन में परिणाम घोषित करने की जल्दबाजी दिखाई. अब परिणाम घोषित होने के बाद यह मामला और भी पेचीदा हो गया है. एसओजी ने अलग-अलग जगहों से 35 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यानी मोटे तौर पर रीट परीक्षा के पेपर लीक होना साबित हो चुका है, केवल औपचारिक रूप से उसका ऐलान बाकी है.
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