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सुप्रीम कोर्ट में सोमवार, 18 सितंबर को महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और अन्य शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले की याचिका पर सुनवाई हुई. शीर्ष कोर्ट ने शिंद गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसले लेने में देरी करने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर पर नाराजगी जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को बागी शिवसेना विधायकों की लंबित अयोग्यता याचिकाओं को एक सप्ताह के भीतर निपटाने के लिए समयसीमा जारी करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि स्पीकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत कार्यवाही को लंबे समय तक नहीं टाल सकते. वे 11 मई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रति आदर और सम्मान दिखाएं, जिसमें उन्हें उचित समय के भीतर बागी शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने को कहा गया था.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के चीफ जस्टिस, डीवाई चंद्रचूड़ ने विधानसभा स्पीकर के वकील भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे) पार्टी के सांसद सुनील प्रभु द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. याचिका में सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को बागी शिव सेना विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर जल्दी फैसला लेने का निर्देश देने की मांग की थी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 56 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर कुल चौंतीस याचिकाएं पेंडिंग हैं. कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाओं को एक सप्ताह के भीतर स्पीकर के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जिस पर स्पीकर को रिकॉर्ड पूरा करने और सुनवाई के लिए समय निर्धारित करने के लिए निर्देश जारी करना होगा. अब इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.
क्या है पूरा मामला
जून 2022 में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बगावती रुख अपनाया. उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली और खुद राज्य के सीएम बन गए. इसके अलावा, उन्होंने शिवसेना पर भी अपना दावा कर दिया.
16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना और उन्हें चुनाव चिह्न 'तीर-धनुष' इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी. जिसके बाद उद्धव गुट चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.
सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता का फैसला स्पीकर के ऊपर छोड़ दिया था. समय पर स्पीकर की ओर फैसला नहीं आने पर उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
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