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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे.एसपी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने रविवार को बताया कि पार्टी मुखिया अखिलेश आजमगढ़ सीट से और दल के वरिष्ठ नेता एवं मौजूदा विधायक आजम खान रामपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे.
आजमगढ़ सीट से इस वक्त अखिलेश के पिता और एसपी संस्थापक मुलायम सिंह यादव सांसद हैं. उन्हें एसपी ने इस बार मैनपुरी से टिकट दिया है. अखिलेश के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की अटकलें पहले से ही लगाई जा रही थीं. आजम खान रामपुर से एसपी के मौजूदा विधायक हैं और इस बार वह रामपुर लोकसभा सीट से एसपी के प्रत्याशी होंगे.
उत्तर प्रदेश के आगरा में रविवार को बीजेपी की ‘विजय संकल्प रैली’ में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर प्रहार किया. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी गठबंधन की एक ही पहचान है ‘सेना का अपमान करना’. वहीं, आदित्यनाथ ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हमारे पास ‘मोदी का नाम और काम’ दोनों है. इस रैली में लोकसभा चुनाव 2019 के अंतर्गत बीजेपी प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी शंखनाद किया गया.
बीजेपी अध्यक्ष ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘एक ओर तो राजग खड़ा है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष का गठबंधन, जिसके पास न तो कोई नेता है, न कोई नीति है और न ही कोई सिद्धांत. ये सब प्रधानमंत्री मोदी के डर की वजह से एकजुट हो रहे हैं और इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ मोदी को सत्ता से बाहर करना है, लेकिन इनका ये मकसद सफल नहीं होगा क्योंकि देश की जनता ने मन बना लिया है. 2014 में जनता ने मोदी के नाम पर वोट दिया था लेकिन अब 2019 में वह मोदी के नाम के अलावा पांच वर्ष में उनके द्वारा किये गये काम के आधार पर वोट देगी.’’
‘विजय संकल्प रैली’ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी का नाम था, लेकिन अब 2019 में उनका ‘नाम और काम’ दोनों हमारे साथ है. इनमें आयुष्मान भारत योजना, स्वच्छ भारत अभियान, आवास योजना, उज्ज्वला योजना, बिजली के कनेक्शन आदि के द्वारा जनहित में गांव, गरीब और किसान के इतने कार्य हुए हैं जितने कि किसी अन्य सरकार में नहीं हुए. उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश का देश में अपना महत्व है और इस प्रदेश से 2014 में सबसे ज्यादा सांसद भी मिले.’’
निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता उल्लंघन पर सख्ती बरतते हुए रविवार को यूपी के अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर 7,59,186 लीटर शराब और 47 किलोग्राम गांजा, स्मैक और चरस जैसे नशीले पदार्थ जब्त किए. मुख्य निर्वाचन अधिकारी एल.वेंकटेश्वर ने बताया कि आयकर, नारकोटिक्स, पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा की गई कार्रवाई में अब तक कुल 101 करोड़ रुपये की जब्ती की गई है, जिसमें पुलिस और आयकर द्वारा 8.04 करोड़ रुपये, नारकोटिक्स द्वारा 14.9 करोड़ रुपये जब्त किए गए.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि कानून व्यवस्था के तहत अब तक 5,55,795 लाइसेंसी शस्त्र जमा कराए गए हैं तथा 309 लोगों के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं. इसके अलावा निरोधात्मक कार्रवाई के तहत 12,03,008 लोगों को पाबंद किया गया है और 10,292 लोगों पर गैर जमानती वारंट जारी कराया गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक 3,997.32 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, 4,160 कारतूस, 2,427 बम बरामद किए गए हैं.
उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में जिला प्रशासन द्वारा अब तक सार्वजनिक स्थानों से वाल राइटिंग के 1,23,058, पोस्टरों के 9,09,230 बैनरों के 4,36,912 मामले पकड़े. अन्य मामलों में 4,33,256 प्रचार सामग्रियों को हटा दिया गया है. इसी तरह से निजी स्थानों से वाल राइटिंग के 68,274, पोस्टर के 2,47,202, बैनर के 1,51,988 मामलों पर कार्रवाई करने के साथ अन्य मामलों में 95,530 प्रचार सामग्री को भी हटा दी गई हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को लखनऊ में आपात बैठक बुलाई. इसमें अध्यक्ष समेत अनेक सदस्यों को बुलाया गया. हालांकि इस बैठक से मीडिया को दूर रखा गया. लखनऊ के नदवा कॉलेज में लोकसभा चुनाव से पहले हो रही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में अयोध्या विवाद, ट्रिपल तलाक और दारुल कजा जैसे अहम मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना जताई गई है. बैठक में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सभी 51 सदस्यों के साथ ही सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.
इससे पहले 12 मार्च को भी लखनऊ के नदवा कॉलेज में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के पक्षकारों और अन्य मौलानाओं के साथ बैठक की थी.
टीबी को खत्म करने को भले ही सरकार ने कमर कसी है, लेकिन इससे निजात मिलनी दूर की कौड़ी लग रही है, क्योकि सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही 13,941 बच्चे टीबी की चपेट में हैं. उत्तर प्रदेश में 4 लाख 20 हजार टीबी के मरीज इसकी गवाही दे रहे हैं. हालात यह है कि इनमें 15 हजार गंभीर रूप से बीमार हैं. इन्हें मल्टी ड्रग रेजिडेंट (एमडीआर) ने अपनी चपेट में ले रखा है. इतना ही नहीं देश के टीबी मरीजों के 20 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में हैं. एमडीआर के मरीजों को बचाने की सबसे ज्यादा चुनौती है. स्टेट टीबी अफसर डॉ. संतोष गुप्ता ने भी इसकी पुष्टि की है.
एमडीआर के मरीजों को बचाने की चुनौती सबसे ज्यादा है. डॉ. संतोष गुप्ता ने कहा, "यह मानने में कतई संकोच नहीं है कि एमडीआर मरीज विभाग के लिए चुनौती हैं." इनका कहना है कि टीबी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज दवा खाने में लापरवाही करते हैं और वे एमडीआर से ग्रसित हो जाते हैं. इन्हें बचाने के लिए दी जाने वाली दवा बेडाकुलीन बाजार में उपलब्ध नहीं है. यह दवा सिर्फ कुछ सरकारी अस्पतालों में ही मिलने की वजह से भी दिक्कतें आ रहीं हैं. मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है.
(इनपुट: PTI / IANS)
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