advertisement
मुरादाबाद जिला प्रशासन ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिनमें दावा किया गया था कि एक 22 वर्षीय महिला, जिसके पति को पुलिस ने नए धर्मांतरण विरोधी कानून (Anti-Conversion Law) के तहत गिरफ्तार किया है, का गर्भपात (मिसकैरिज) हो गया है. कपल अपनी शादी रजिस्टर कराने गया था, जब पुलिस ने पिछले हफ्ते नए कानून के तहत पति को गिरफ्तार कर लिया, और महिला को संरक्षण गृह में रख दिया गया, जिसके बाद महिला के जबरन गर्भपात की खबरें सामने आई थीं.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि पेट दर्द की शिकायत के बाद तीन महीने की प्रेगनेंट पिंकी को शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद रविवार को उसे डिस्चार्ज किया गया. रविवार दोपहर में महिला को दोबारा पेट दर्द की शिकायत पर भर्ती कराया गया.
मुरादाबाद के जिला प्रोबेशन अधिकारी राजेश चंद्र गुप्ता ने सोशल मीडिया पर महिला के गर्भपात की खबरों की ‘फेक न्यूज’ बताते हुए कहा कि वो एकदम ठीक हैं. उन्होंने कहा, “मेडिकल रिपोर्ट बताती है कि वो तीन महीने की प्रेगनेंट हैं. शुक्रवार को, महिला ने पेट में दर्द की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें महिला जिला अस्पताल ले जाया गया. उन्हें वहां एडमिट किया गया. रविवर सुबह 11 बजे उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया. पेट दर्द की शिकायत पर दोपहर 2 बजे उन्हें फिर से भर्ती कराया गया था.”
बतौर गुप्ता, रविवार देर शाम तक महिला एकदम ठीक थीं. उन्होंने कहा, “मैंने मजिस्ट्रेट को चिट्ठी लिखी है, जिनके निर्देश पर महिला को संरक्षण गृह भेजा गया था. मैंने उन्हें उनकी सेहत और प्रेगनेंसी के बारे में बताया है. महिला का बयान रिकॉर्ड हो जाने पर, ये उनके ऊपर निर्भर करेगा कि वो कहां जाना चाहती हैं.”
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला को संरक्षण गृह में एक हफ्ते से ऊपर हो गया है, लेकिन अभी तक मजिस्ट्रेट के सामने उनका बयान दर्ज नहीं किया गया है. बयान रिकॉर्ड करने में देरी पर मुरादाबाद ASP विद्या सागर मिश्रा ने कहा कि महिला का जल्द ही बयान दर्ज कराया जाएगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined