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केंद्र सरकार के लोक-लुभावन बजट के बाद यूपी की योगी सरकार ने 7 फरवरी को अपना तीसरा बजट पेश किया. प्रयागराज कुंभ की चर्चा के साथ शुरू हुए योगी सरकार के बजट भाषण में बीजेपी के एजेंडे की छाप साफ नजर आई.
किसान, नौजवान और बेरोजगार को बैंलेस करने के साथ सरकार ने बजट को भगवामय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी. सरकार गोशालाओं और हिंदुओं की आस्था के केंद्र अयोध्या और वाराणसी पर खासी मेहरबान दिखी. मतलब साफ है, बजट के बहाने योगी सरकार हिंदू वोटरों को गोलबंद तो करेगी ही.
उत्तर प्रदेश का कुल बजट 4 लाख 79 हजार 701 करोड़ रुपये का है. बजट के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ये अभी तक का सबसे बड़ा बजट है, जो पिछले बजट की तुलना में 11.98 फीसदी ज्यादा है. उन्होंने कहा कि इस बार सरकार पर कर्जमाफी का दबाव नहीं है, इसलिए सरकार अधिक योजनाएं पूरी करेगी.
यूपी की सियासत में गाय का क्या महत्व है, ये हर कोई जानता है. सत्ता संभालने के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने गाय के लिए विशेष प्रेम जाहिर कर दिया था. गोवंश संरक्षण को लेकर पूरे प्रदेश में इसका कड़ाई से पालन भी कराया जा रहा है.
बावजूद इसके योगी सरकार ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे. सरकार ने अपने तीसरे बजट में गोवंश के लिए खजाना खोला है.
योगी सरकार ने इस बजट के जरिए अपने धार्मिक एजेंडे को धार देने की कोशिश की है. यूपी सरकार के इस बजट को यूं ही भगवामय नहीं कहा जा रहा है. बजट में गोशालाओं के बाद हिंदू धर्म के आस्था के केंद्रों का भरपूर खयाल रखा गया.
सरकार राम मंदिर के मुद्दे पर नाराज चल रहे साधु-संतों के अलावा हिंदू वोटरों पर डोरे डालने की हर कोशिश की है. सरकार हिंदू वोटरों के लिए किस तरह गंभीर है, इस बात से समझा जा सकता है कि सिर्फ अयोध्या और काशी के मंदिरों के लिए बजट में 300 करोड़ रुपए दिए.
4 लाख 80 हजार करोड़ रुपये के जंबो बजट में योगी सरकार का दलित प्रेम भी है. सरकार ने वाराणसी स्थित गुरु रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धनपुर के सुदृढ़ीकरण के लिए बजट में खास प्रावधान किया.
जानकार बताते हैं कि दलितों के सबसे बड़े गुरु रविदास को खास अहमियत देकर बीजेपी बड़ा संदेश देना चाहती है. साल 2014 के चुनाव में दलितों ने बीजेपी का साथ दिया था. लेकिन बदले सियासी माहौल में दलित अब बीजेपी से दूर होते जा रहे हैं. ऐसे में गुरु रविदास के जरिए बीजेपी ने फिर से नया दांव खेला है.
बजट में गुरु रविदास की जन्मस्थली के सुदृढ़ीकरण को रख बीजेपी डैमेज कंट्रोल करना चाहती है. योगी सरकार के इस कदम को लोकसभा चुनाव के पहले दलितों का अपने पाले में लाने की तरह देखा जा रहा है.
हाल के सालों में किसान बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है. किसानों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में होड़ लगी है. खुद को किसानों का बड़ा हितैषी बताने में दोनों पार्टियां लगी हुई हैं. सरकार बनने के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने भी कर्जमाफी कर किसानों के हितैषी होने का बड़ा संदेश दिया था.
चुनावी मौसम में पेश होने वाले बजट में योगी सरकार ने एक बार फिर से किसानों को भी खुश करने की भरपूर कोशिश की. बजट में किसानों और खेतिहरों का भी विशेष ध्यान दिया गया है. यूरिया का रेट घटा दिया, तो धान के समर्थन मूल्य बढ़ाया दिया है.
योगी सरकार ने अपने बजट में हर वर्ग को कुछ न कुछ देने की कोशिश की. गांवों में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 6,240 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 1,393 करोड़ व गांवों में मुख्यमंत्री आवास योजना के लिए 429 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. विधानमंडल क्षेत्र विकास निधि के लिए 1,008 करोड़ व्यवस्था की गई है. बुंदेलखंड क्षेत्र में खरीफ आच्छादन में वृद्धि के लिए विभिन्न फसलों की उन्नतशील, प्रमाणित और संकर प्रजातियों के बीजों पर विशेष अनुदान के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
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