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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) में अदालत के आदेश को ना मानना पुलिस को भारी पड़ गया है. एक वकील की कार चोरी हो जाने के बाद जब पुलिस ने अदालत के आदेश के बाद भी एफआईआर नहीं की तो हाईकोर्ट को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा. आखिरकार हाई कोर्ट ने कानपुर कमिश्नर और थाना प्रभारी को तलब कर लिया है. इसके साथ ही थाना प्रभारी के खिलाफ FIR भी हो गयी है. क्या है यह पूरा मामला आपको विस्तार से बताते हैं.
कानपुर के प्रेमपुर निवासी रविकांत उत्तम वकील हैं. रविकांत के मुताबिक एक अगस्त 2023 को कचहरी से घर वापस जाते समय देर शाम लगभग साढ़े सात बजे उनकी कार जीटी रोड चांदमारी क्षेत्र में मनोज इंटरनेशनल पीएसी मोड़ के पहले अचानक खराब हो गई थी.
उन्होंने कंपनी के टोल नंबर पर कॉल की, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद वह खुद फजलगंज स्थित कार्यालय पहुंचे तो वहां बताया गया कि कर्मचारी कल मिल पाएंगे. जब वह लौटकर आए तो देखा कि कार अपनी जगह पर नहीं थी.
दो अगस्त की रात लगभग एक बजकर छह मिनट पर टोल टैक्स कटने का SMS उन्हें मिला. इससे जानकारी मिली कि टोल प्लाजा पानीपत का था. वह सूचना देने थाना चकेरी पहुंचे, लेकिन कार चोरी की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. इसके बाद 19 अगस्त 2023 को उन्होंने स्थानीय न्यायालय में धारा 156 (3) के तहत मुकदमा दर्ज करने को लेकर प्रार्थना पत्र दिया.
याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठासीन न्यायाधीश सौरभ श्रीवास्तव ने आदेश पारित कर थाना प्रभारी छावनी को एफआईआर दर्ज करने को कहा. आरोप है कि कैंट इंस्पेक्टर अजय कुमार सिंह ने न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया और मुकदमा दर्ज करने से मना कर दिया.
आरोप है कि जब रविकांत के बार बार कहने पर भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. हाईकोर्ट ने पूरे मामले का संज्ञान लिया और पुलिस कमिश्नर डॉ आर के स्वर्णकार के साथ-साथ कैंट इंस्पेक्टर अजय कुमार को इस मामले में 7 दिसंबर को तलब कर लिया.
पुलिस कमिश्नर पर एक्शन तो थाना प्रभारी पर गिरी गाज
जब हाई कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर और थाना प्रभारी को तलब किया तो इस प्रकरण में पुलिस कमिश्नर के वाचक प्रदीप कुमार मौर्या की तहरीर पर थाना कोतवाली में कैंट इंस्पेक्टर अजय कुमार सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 166ए के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई. इस कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.
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