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मेरठ: पुलिस ने चेक बाउंस के आरोपी को उठाया, गाड़ी का पीछा कर रहे 2 परिजनों की मौत

Meerut News: आरोपी को पुलिस प्राइवेट गाड़ी से लेकर जा रही थी, स्कूटी से पीछा कर रहे 2 परिजनों की हादसे में मौत

क्विंट हिंदी
राज्य
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<div class="paragraphs"><p>मेरठ में सड़क हादसे में दो लोगों की मौत</p></div>
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मेरठ में सड़क हादसे में दो लोगों की मौत

(फोटो: क्विंट)

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) में पुलिस की गाड़ी का पीछा कर रहे दो लोगों की सड़क हादसे में मौत हो गई. दरअसल, मामला गुरुवार, 27 अप्रैल की रात का है. चेक बाउंस केस में हापुड़ कोतवाली के रेलवे रोड चौकी इंचार्ज कमल सिंह पुलिस बल के साथ मेरठ के टीपी नगर स्थित मोदी पार्क में पब्लिकेशन कारोबारी चेतन गर्ग के आवास पर दबिश देने पहुंचे थे. आरोप है कि पुलिसवालों ने महिलाओं के साथ अभद्रता की और जबरन चेतन गर्ग को प्राइवेट गाड़ी में लेकर रवाना हो गए.

पुलिस की गाड़ी का पीछा करने के दौरान हादसा

इसके बाद चेतन का भतीजा मोहित और चेतन की पत्नी चित्रा पुलिस की प्राइवेट गाड़ी का पीछा करते हुए स्कूटी से निकले. इस दौरान बुलंदशहर-मेरठ राष्ट्रीय राजमार्ग पर घोसीपुर के पास एक बेकाबू कैंटर ने स्कूटी को रौंद डाला. हादसे में मोहित और चित्रा की मौके पर ही मौत हो गई. मेरठ पुलिस ने हापुड़ पुलिस को हादसे की सूचना दी. जिसके बाद पब्लिशर चेतन गर्ग को लेकर करीब हापुड़ तक पहुंच चुकी पुलिस वापस मेरठ लेकर आई और टीपी नगर थाने में छोड़ दिया.

पब्लिकेशन कारोबारी चेतन गर्ग के आवास पर पुलिस

(फोटो: क्विंट)

हालांकि, हापुड़ एसपी अभिषेक वर्मा का कहना है कि, "कोतवाली नगर की पुलिस मेरठ पुलिस के साथ मिलकर एक गैर जमानती वारंट पर कार्रवाई करने गई थी. जिस व्यक्ति के खिलाफ गैर जमानती वारंट था वो वहां पर नहीं मिले. लेकिन उनके एक अन्य रिश्तेदार के खिलाफ कोर्ट से जमानती वारंट जारी था. उनको नियमानुसार स्थानीय थाने ले जाकर परिजन के सुपुर्द किया गया."

परिजनों को बाद में पता चला कि चेतन के खिलाफ कोर्ट का जमानती वारंट था. जिसमें उसे गिरफ्तारी वाले स्थान अथवा स्थानीय थाने से जमानत दी जा सकती थी. उसकी गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं थी. गैर जमानती वारंट चेतन के बड़े भाई प्रमोद के खिलाफ था. हापुड़ पुलिस तस्दीक किए बगैर ही चेतन को जबरन उठाकर ले गई थी.

पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल

इस पूरी घटना के बाद से हापुड़ पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. मेरठ के व्यापारियों में भी काफी आक्रोश है. पुलिस की कार्यशैली को लेकर अफसरों से शिकायत की गई है. पीड़ित परिवार ने पुलिस और परिवार के खिलाफ केस दर्ज कराने वाले बुलंदशहर के डॉ. संजीव अग्रवाल पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है. परिजनों का आरोप है कि डॉ संजीव अग्रवाल बुलंदशहर का रहने वाला है और अपने रसूख के दम पर पुलिस की मदद से परिवार को परेशान कर रहा है.

चेतन गर्ग के भाई प्रमोद गर्ग ने बताया कि,

"तीन साल पहले संजीव अग्रवाल ने जबरदस्ती पुलिस की मदद से हमें नोएडा उठवा लिया था और जबरदस्ती 15-15 लाख के चार चेक ले लिए थे. पुलिस प्रशासन इनके कहने पर चलती है. पुलिस प्रशासन से इनकी सांठ-गांठ है. वहीं मुकदमे को इसने बुलंदशहर में डाल दिया. बुलंदशहर में मिडिएशन में जब ये गया तो 15 लाख का रह गया. हमने अपनी इज्जत के लिए पैसे दिए. फिर नोएडा वाले मुकदमे को हापुड़ ले आया."

इसके साथ ही उन्होंने संजीव अग्रवाल पर रंगदारी वसूलने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि, "संजीव अग्रवाल कारोबार करना चाहता था, लेकिन उसने कारोबार नहीं किया. कोरोबार के लिए उसे 2 एकड़ जमीन देनी थी. उसने हमसे चेक भी ले लिए और जमीन भी नहीं दी."

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