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UP Encounter Guidelines: उत्तर प्रदेश में मंगेश यादव का एनकाउंटर और इसके बाद बहराइच हिंसा के आरोपियों का गोली लगने से घायल होना. हाल के दिनों में ऐसे एनकाउंटर को लेकर विपक्ष ने यूपी सरकार पर खूब सवाल उठाए. अब योगी सरकार ने एनकाउंटर को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है.
यूपी के सभी पुलिस कमिश्नर से लेकर जिला के पुलिस प्रमुखों को लिखे एक लेटर में, राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी, डीजीपी प्रशांत कुमार ने 16 प्वाइंट वाली इस गाइडलाइन जारी की है. यह गाइडलाइन एनकाउंटर के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी गाइडलाइंस के तर्ज पर है, जो उसने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया था.
पुलिसिया एनकाउंटर पर उठते सवालों के बीच यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि एनकाउंटर में अपराधी की मौत या घायल होने पर शूटआउट वाले साइट की वीडियोग्राफी करानी होगी. साथ ही इसमें पोस्टमार्टम को लेकर साफ निर्देश दिए गए है.
चलिए आपको इस गाइडलाइंस के सभी 16 प्वाइंट आसान शब्दों में बताते हैं:
एनकाउंटर में शामिल पुलिस कर्मियों ने जो हथियार इस्तेमाल किए होंगे, उसे सरेंडर कराया जाए और उसकी बैलिस्टिक टेस्ट कराई जाएगी.
एनकाउंटर में घायल आरोपी का हैंडवाश कराकर उसके सैंपल की जांच की जाएगी. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकी कि फायरिंग उसी ने की थी या नहीं. साथ ही उनसे बरामद हथियार की बैलिस्टिक टेस्ट कराई जाएगी.
एनकाउंटर में मृतक का पोस्टमार्टम 2 डॉक्टरों की संयुक्त टीम से कराई जाएगी. कहा गया है कि पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी की जाए.
जिन केस में अपराधी की मौत हुई हो, उन सभी में फॉरेंसिक टीम घटनास्थल की वीडियोग्राफी करे. साथ ही शूटआटस साइट पर क्राइम सीन रिक्रिएट किया जाए और सभी सबूतों को शामिल किया जाए.
घटना स्थल के फोटोग्राफ की एक-एक कॉपी अभिलेखीय रिकॉर्ड के रूप में संबंधित पत्रावली पर अलग से रखी जाएगी.
एनकाउंटर के बाद मृतक के परिजनों को तत्काल सूचित किया जाएगा.
निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एनकाउंटर से जुड़े केस की जांच कार्यवाही वाले थाने की बजाए दूसरे युनिट, जैसे क्राइम ब्रांच या दूसरे थाने में कराई जाएगी. एक्शन में शामिल अधिकारी से उपर के रैंक के अधिकारी को जांच में लगाया जाएगा.
कहा गया है कि एनकाउंटर के जिन मामलों की जांच जारी है उनमें आरोपी के हथियार की बैलिस्टिक टेस्ट की रिपोर्ट केस डायरी में शामिल की जाए. जिन मामलों में जांच पूरी हो चुकी है, उनमें बैलिस्टिक रिपोर्ट केस डायरी के जरिए कोर्ट को भेजी जाए.
जिन एनकाउंटर में पुलिसकर्मी या आरोपी घायल होते हैं, उनमें दोनों की मेडिकल रिपोर्ट केस डायरी में जरूर शामिल किया जाएगा.
एनकाउंटर में मारे गए आरोपी पर चल रहे सभी केसों का सुसंगत सबूतों के आधार पर निस्तारण किया जाएगा. कहा गया है कि क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में जमा किया जाए.
उन मामलों से जुड़ीं मजिस्ट्रियल या न्यायिक जांच में जरूरी सभी डॉक्यूमेंट समय से देकर जांच तत्परता से पूरी कराई जाए.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग के पास पेडिंग एनकाउंटर से जुड़ें सभी मामलों में जरूरी डॉक्यूमेंट समय से देकर उन्हें तत्परता से पूरी कराई जाए.
एनकाउंटर से संबंधित कार्यवाही को नियमानुसार पूरा करने के लिए SSP स्तर के नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएंगें.
साल 2017 में पुलिस मुख्यालय की तरफ से भेजे गए एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का गहन अध्ययन किया जाए और अपने जूनियर अधिकारियों को अच्छे से ब्रीफ दिया जाए ताकि इनके पालन में कोई शिथिलता न रहे.
एनकाउंटर पर साल 2017 में पुलिस मुख्यालय की तरफ से भेजे गए निर्देशों का शब्दशः पालन किया जाए.
गाइडलाइंस के साथ 21 प्वाइंट की एक चेक लिस्ट दी गई है. सीनियर अधिकारी यह जांच करें कि इस चेकलिस्ट पर कार्यवाही की जा रही है.
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