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आजादी के बाद पहली बार मुलायम के गांव सैफई में दलित प्रधान 

मुलायम सिंह यादव के करीबी विश्वासपात्र रामफल बाल्मीकि को सैफई के ग्राम प्रधान के रूप में चुना गया है.

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आजादी के बाद पहली बार मुलायम के गांव सैफई में दलित प्रधान
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आजादी के बाद पहली बार मुलायम के गांव सैफई में दलित प्रधान
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आजादी के बाद पहली बार समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई का प्रतिनिधित्व एक दलित व्यक्ति करेगा. मुलायम सिंह यादव के करीबी विश्वासपात्र रामफल बाल्मीकि को सैफई के ग्राम प्रधान के रूप में चुना गया है, जहां 48 वर्षों के लंबे समय के बाद पहली बार चुनाव हुए थे.

बाल्मिकी के खिलाफ सिर्फ एक उम्मीदवार ही थीं मैदान में

सैफई में बाल्मीकि के खिलाफ केवल एक उम्मीदवार मैदान में था जो 19 अप्रैल को चुनाव में गया था. रामफल बाल्मीकि ने अपनी प्रतिद्वंद्वी विनीता को बड़े अंतर से हराया. बाल्मीकि को कुल 3,877 वोट मिले, जबकि विनीता को सिर्फ 15 वोट मिले. अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए सीट आरक्षित होने के बाद बाल्मीकि को सैफई से मैदान में उतारा गया था.बाल्मीकि के निर्विरोध चुने जाने की संभावना इस बार प्रबल थी लेकिन एक महिला विनीता द्वारा दाखिल नामांकन ने सैफाई में निर्विरोध पंचायत चुनाव की परंपरा को तोड़ दिया.

दर्शन सिंह लगातार जीतते आए थे

सैफई ग्रामसभा से मुलायम सिंह यादव के करीबी और दोस्त दर्शन सिंह यादव लगातार जीतते चले आए थे. पिछले साल उनका निधन हो गया था, जिसके बाद ये सीट खाली हो गई थी. इस बार सैफई गांव की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई थी. ऐसे में रामफल बाल्मिकी उम्मीदवार बने और उन्हें चुनौती देने के लिए विनिता चुनाव में खड़ी हुईं.

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