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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सरकारी शिक्षकों से पढ़ाई कराने के अलावा गैर शैक्षणिक कार्य भी धड़ल्ले से कराए जा रहे हैं. मवेशियों के लिए भूसा बटोरना हो या देव दीपावली पर दीये जलाना, हर काम में शिक्षकों की भागीदारी जरूरी होती जा रही है. ताजा मामला वाराणसी (Varanasi) से जुड़ा है. जहां देव दीपावली के मद्देनजर डेढ़ माह पहले ही बकायदा लेटर जारी कर दीपक जलाने की जिम्मेदारी शिक्षकों को सौंपी गई है.
वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा को गंगा के घाटों पर दीप जलाकर देव दीपावली मनाई जाती है. इस बार की देव दीपावली को लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. सभी विभागों की जिम्मेदारी तय की गई है. इसकी के तहत बेसिक शिक्षा विभाग को गंगापार रेती में सेक्टर 11 से 20 तक दीप प्रज्वलन की जिम्मेदारी दी गई है.
इस बाबत वाराणसी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार पाठक ने भी आदेश जारी कर खंड शिक्षा अधिकारियों की ड्यूटी तय कर दी है. आदेश के मुताबिक हर सेक्टर में 35,000 दीये जलाये जायेंगे. कुल 3.5 लाख दीप बेसिक शिक्षा विभाग को प्रज्वलित कराने हैं. उसके लिए सेक्टर प्रभारी नियुक्त किये गए हैं.
इससे पहले मई महीने में जालौन में शिक्षकों के लिए भूसा बटोरने का आदेश जारी हुआ था. उरई के मुख्य विकास अधिकारी की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक घर-घर जाकर गोवंश के लिए भूसा इकट्ठा करेंगे. इसको लेकर शिक्षक संगठनों ने आपत्ति भी जताई थी.
चलिए अब आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के शिक्षकों को पढ़ाई-लिखाई के अलावा और क्या-क्या करना पड़ता है.
मतदाता सूची निर्माण और संशोधन
बाल गणना करना
मिशन प्रेरणा पोर्टल पर डाटा फीडिग करना
नवनिर्वाचित प्रधानों से समन्वय बनाकर कायाकल्प मिशन को गति देने का काम
मिड-डे-मील के तहत खाते में फंड ट्रांसफर सुनिश्चित करना
मिड-डे मील के तहत राशन और खाद्य सामग्री एकत्र करना
राशन सार्वजनिक वितरण केंद्र पर अनाज वितरण करवाना
विद्यालय परिसर का दुरुस्तीकरण कराना
टाइम एंड मोशन स्टडी के अनुसार नए पंजीकरण कराने पर जोर
विद्यालय परिसर के विभिन्न अभिलेखों को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी
भवन निर्माण और देखरेख का काम
प्रसार-प्रसार के लिए बच्चों को लेकर विभिन्न रैलियां आयोजित करवाना
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रदेश संयोजक पंकज यादव ने देव दीपावली पर शिक्षकों की ड्यूटी लगाने के आदेश पर कड़ी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि इस तरह के आयोजन थोपने की बजाए शिक्षकों की रुचि अनुसार उनसे सहमति लेनी चाहिए. पंकज यादव ने आगे कहा कि,
उन्होंने बताया कि अप्रैल महीने में जो किताबें छात्रों को मिल जानी चाहिए थी वह अब जाकर मिली है, ऐसे में प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का मानदंड कहां पहुंचेगा कहना असंभव सा लगता है.
साल 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेने पर कड़ी टिप्पणी की थी. स्पष्ट किया था कि जनगणना और चुनाव को छोड़कर अन्य किसी भी कार्य में शिक्षक प्रतिभाग नहीं करेंगे. कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा था. बावजूद इसके शिक्षकों से लगातार गैर शैक्षणिक कार्य कराए जा रहे हैं.
(इनपुट: चंदन पांडेय)
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