advertisement
“मैं स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र और घरों में जाकर पानी की जांच करती थी. जिस दिन काम करती, उस दिन 7 से 8 घरों के पानी की जांच कर लेती थी. महीने में लगभग 15 दिन काम होता था. इस हिसाब से एक महीने में लगभग 50 से 60 घरों के पानी की जांच कर लेती थी. पानी की रिपोर्ट रजिस्टर में चढ़ाती, फिर घर आकर WQMIS पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड करना होता था. लेकिन अभी तक हमें हमारी मेहनत का कोई पैसा नहीं मिला”
यह कहना है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के ललितपुर जिले की जल सखी दीप्ति राजा का.
प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 400 किलोमीटर दूर ललितपुर जिले के जमालपुर गांव में दीप्ति राजा जलसखी के रूप में घर घर जाकर पानी की जांच करती हैं. दीप्ति का चयन जलसखी के रूप में दो साल पहले हुआ था. उन्हें ब्लॉक में दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया था. प्रशिक्षण के बाद प्रमाणपत्र और फील्ड टेस्ट किट दी गई थी. लेकिन पैसे के नाम पर कुछ भी नहीं मिला.
विभागीय वेबसाइट पर अपलोड आकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 17 दिसंबर 2023 तक 67,070 गांवों में 23,95,332 नमूनों की जांच की गई है.
झांसी के बुढावली गांव की शिवानी बताती हैं, “लखनऊ से 3 महीने पहले मुझे फोन कर बोला गया था कि आप अपना अकाउंट नंबर, आधार कार्ड व्हाट्सएप पर भेज दीजिए. हमने उस नंबर पर भेज दिया था. लेकिन कोई पैसा नहीं आया.”
ललितपुर जिले के बिरधा ब्लॉक के धौरा गांव की रहने वाली सोमवती देवी (26) की कहानी भी शिवानी और दीप्ति जैसी ही है. उन्हें 8 महीने पहले ट्रेनिंग दी गई थी.
प्रदेश सरकार ने जल सखियों के लिए 20 रुपये प्रति टेस्ट प्रोत्साहन राशि के रूप मे निर्धारित किया था. ऐसे में कुछ महिलाओं को अभी तक किसी प्रकार का भुगतान नहीं किया गया है जिसके चलते ये महिलाएं अब काम छोड़ रही हैं.
शिवानी आगे बताती हैं, "डेढ़ साल पहले मैं जलजीवन मिशन से जल सखी के रूप में जुड़ी थी. ब्लॉक में ट्रेनिंग दी गई. ट्रेनिंग के 1 महीने बाद मुझे फील्ड टेस्ट किट दे दी गई थी. जब हमारे खाते में हमारा मेहनताना नहीं आया तो मैंने जल परीक्षण संबंधित कार्य पूरी तरह से बंद कर दिया. पैसे न मिलने के कारण मेरे घर वाले भी काम करने के लिए मना करते हैं."
जिले के जल निगम अधिशासी अभियंता अवनीश सिंह ने बताया कि जिले में लगभग 3,000 महिलाएं कार्य कर रही हैं. जिसमें से 1200 महिलाओं का डेटा वेरिफाई करके 650 महिलाओं को भुगतान किया जा चुका है. ऐसे में कुछ महिलाओं के खातों के वेरिफिकेशन में समस्या आ रही है. जिसके चलते भुगतान में देरी हो रही है. जिन महिलाओं के खातों में समस्या आ रही है उनसे दोबारा दस्तावेज लिए जा रहे हैं.
जलजीवन मिशन के सलाहकार राधा कृष्ण त्रिपाठी ने बताया प्रदेश में 4,80,000 महिलाएं कार्य कर रही हैं. जैसे ही पानी की जांच करके रिपोर्ट अपलोड करती हैं. डेटा वेरिफिकेशन करके उनके खाते में राशि भेज दी जाती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)