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ऑटो चालक को फर्जी केस में फंसाया- मां बोली, "केस लड़ें या खाने का इंतजाम करें"

कोर्ट ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखते हुए कहा है कि पुलिस नागरिकों के मूल अधिकारों का गंभीर रूप से हनन कर रही है.

बृजेंद्र दुबे
राज्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>UP: ऑटो चालक को फर्जी मुकदमे में फंसाया,अदालत ने पुलिस पर दिया मुकदमे का आदेश</p></div>
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UP: ऑटो चालक को फर्जी मुकदमे में फंसाया,अदालत ने पुलिस पर दिया मुकदमे का आदेश

(फोटो- क्विंट हिंदी) 

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मिर्जापुर (Mirzapur) जिले में मादक पदार्थ के साथ फर्जी गिरफ्तारी के मामले में न्यायालय ने एक दरोगा और दो कॉन्स्टेबल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. एनडीपीएस (NDPS Act.) मामलों की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश वायु नन्दन मिश्रा ने अभियोजन की कहानी को फर्जी बताते हुए आरोपी को रिहा कर दिया है.

पुलिस की कार्यप्रणाली से खफा कोर्ट ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखते हुए कहा है कि जिले की पुलिस नागरिकों के मूल अधिकारों का गंभीर रूप से हनन कर रही है.

यह है पूरा मामला 

यूपी के मिर्जापुर जिले के इमामबाड़ा निवासी 20 वर्षीय सुलेमान पर 29 जून 2021 की रात को पुलिस ने 79 ग्राम अल्प्राजोलम पाउडर के साथ सुलेमान को गिरफ्तार किया. मुकदमा कटरा कोतवाली थाने में दर्ज किया गया. आनन-फानन में पुलिस ने ऐसे जुर्म का पुलिंदा अदालत के सामने पेश किया जिसका सुलेमान से कोई वास्ता ही नहीं था.

इसके बावजूद सुलेमान लगभग 6 महीने जेल के सलाखों के पीछे कैद रहा. इधर सुलेमान की मां अफसाना बेटे के जेल चले जाने का गम साथ में लेकर सुलेमान को छुड़ाने के प्रयास में करती रही. सुलेमान की मां अफसाना क्विंट हिंदी से बताती हैं कि,

"सुलेमान ऑटो चलाता था 200 रुपए कमाता था जब से जेल गया था घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया. पहली बार 6 महीने बाद जब जेल से छूटकर आया तो हमे लगा चलो सब ठीक हो जाएगा, सुलेमान फिर काम करने लगा लेकिन एक रात, दो पुलिस वाले आए और सुलेमान से बोले चलो साहब ने बुलाया है वजह पूछने पर कुछ भी बताने से इंकार कर दिया."

इसके बाद अगले दिन सुलेमान का चलान कर दिया और वह फिर जेल चला गया. परेशान सलमान की मां ने जब अपने वकील से संपर्क किया तो पता चला 2 बार पेशी पर नही पहुंचा तो वारंट जारी हुआ था.

इस बार फिर सुलेमान लगभग चार महीने जेल के सलाखों के पीछे तनहाई काटता रहा. बीते 21 दिसंबर को सुलेमान जेल से छूटकर घर आया और सुलेमान की जिंदगी में उजाला हो गया. जब उसे अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम वायुनंदन मिश्र ने फैसला सुनाते हुए सुलेमान को रिहा कर दिया.

सुलेमान के वकील आकाश प्रताप सिंह ने बताया पुलिस ने कोई भी सबूत न्यायालय के सामने प्रस्तुत नहीं किया और ना ही एनडीपीएस एक्ट के प्रावधान का पालन किया. न्यायालय में ऐसे बहुत कम मामले देखने को मिलते हैं. हमारे एफटीसी प्रथम न्यायधीश वायुनंदन मिश्रा ने बहुत अच्छा निर्णय लिय एक बेकसूर और बहुत ही गरीब परिवार को न्याय दिया है.

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न्यायधीश वायुनंदन मिश्रा ने पुलिस पर मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश

सुलेमान के मुकदमे में एफटीसी प्रथम न्यायधीश वायुनंदन मिश्रा ने इस मामले में उपनिरीक्षक हरिकेश राम आजाद, हेड कांस्टेबल शौकत अली, कांस्टेबल पंकज दुबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. इसके अलावा विवेचक और पर्यवेक्षण अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही कर एक महीने के अंदर न्यायालय को अवगत कराने को कहा है. न्यायधीश वायुनंदन मिश्रा ने उत्तर प्रदेश शासन को कार्रवाई हेतु पत्र भी भेजा है.

पत्र में मिर्जापुर पुलिस के कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहाकि वर्तमान में नागरिकों के मूल अधिकारों का गंभीर हनन हो रहा है. विधि के शासन को पुलिस के शासन के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है. पुलिस अधिकारियों को बार बार अवगत कराने के बावजूद ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति जारी है.

सुलेमान की मां दूसरों के घर धोती है बर्तन

सुलेमान का परिवार दिहाड़ी मजदूरी का कार्य करता है. सुलेमान आटो रिक्शा चालक है मां अफसाना आस पड़ोस के लोगों के घरों में बर्तन साफ करती हैं. बेटे के जेल जाने की खबर लगी जिसके बाद उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. घर में पैसे नहीं थे, इस वजह से जमानत नहीं हो पाती थी. रोज का कमाना है, रोज का खाना है.

सुलेमान की मां क्विंट से बताती है 25 हजार रुपए का कर्ज लिया है तब जाकर जमानत करवाया. उन्होंने बताया कि एक कमरे में परिवार के सभी सदस्य जमीन पर बिछौना डालकर सोते हैं. परिवार हमारा अंधेरे में रहता है क्योंकि हमारे पास बिजली का बिल देने के लिए पैसे नहीं हैं.खाना बनाने के लिए गैस का कनेक्शन और राशन कार्ड के बिना ही जीवन यापन कर रही है.

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