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“ये ‘विकास’ का नतीजा’’,उत्तराखंड त्रासदी पर क्या बातें हो रही हैं

उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से आई बाढ़, 150 से ज्यादा लोग लापता

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उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से आई बाढ़, 150 से ज्यादा लोग लापता
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उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से आई बाढ़, 150 से ज्यादा लोग लापता
(फोटो: PTI)

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उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई भीषण बाढ़ में अब तक 14 लोगों की मौत हो गई है. 170 से ज्यादा लोगों के लापता होने की खबर है. वहीं, सुरंग में भी कई लोग फंसे हुए हैं. प्रभावित इलाकों में NDRF, ITBP और SDRF टीमें राहत बचाव कार्य में लगी हैं.

उत्तराखंड में आई इस त्रासदी के पीछे एक्सपर्ट्स, पर्यावरणविद, लेखकों और पत्रकारों ने विकास कार्य को जिम्मेदार ठहराया है.

इंडियन फॉरेस्ट सर्विस अधिकारी, अंकित कुमार ने एक वीडियो ट्वीट कर बताया कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के पीछे क्या कारण था. उन्होंने बताया कि ‘विकास का दबाव’ और ‘क्लाइमेट चेंज’ के कारण ऐसा होता है.

एक्टिविस्ट मेधा पाटकर ने भी उत्तराखंड त्रासदी के पीछे विकास कार्य को जिम्मेदार ठहराया.

ग्रीनपीस इंडिया के लिए क्लाइमेट कैंपेनर, अविनाश कुमार ने इस मामले में सही जांच की मांग की. उन्होंने लिखा, “इकोलॉजिकल रूप से संवेदनशील हिमालय क्षेत्र में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप इसे जलवायु परिवर्तन के लिए अधिक संवेदनशील बना रहे हैं. संवेदनशील और नाजुक क्षेत्रों में भारी निर्माण से बचा जाना चाहिए.”

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9 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट लिसिप्रिया कंगुजम ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है. लिसिप्रिया ने ट्विटर पर कड़े शब्दों में लिखा, “एक्सपर्ट्स ने कई बार चेतावनी दी थी, लेकिन मिस्टर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नहीं सुनी और आज वो कह रहे हैं कि ग्लेशियर के टूटने के पीछे की वजह एक्सपर्ट्स बताएंगे? इतनी जानों के पीछे आप जिम्मेदार हैं. और आप 1 जिंदगी पर 4 लाख का प्राइस टैग लगा रहे हैं. नैतिक आधार पर इस्तीफा दीजिए.”

उन्होंने आगे लिखा, “उत्तराखंड में जो हुआ वो त्रासदी नहीं है. ये क्लाइमेट क्राइसिस है. बच्चों ने काफी पहले चेतावनी दी थी लेकिन बड़ों ने नहीं सुनी. तेजी से वनों की कटाई, उच्च ऊंचाई में बांधों का निर्माण और जलवायु परिवर्तन ऐसी त्रासदी को न्योते दे रहे हैं.”

पर्यावरणविद विमलेंदु झा ने भी कहा कि उत्तराखंड त्रासदी इस बात का उदाहरण है कि क्लाइमेट क्राइसिस को नजरअंदाज किया जा रहा है. उन्होंने लिखा कि “हमने 2013 केदारनाथ त्रासदी से कोई सीख नहीं ली.”

मृणाल पांडे, प्रज्ञा तिवारी, और कविता जैसे लेखकों ने भी ट्विटर पर उत्तराखंड त्रासदी पर दुख जताया और उत्तराखंड में पहाड़ों पर चल रहे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए 2 लाख रुपये अनुग्रह राशि की घोषणा की है. आपदा में गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए 50,000 रुपये का मुआवजा दिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सभी मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है.

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Published: 08 Feb 2021,01:33 PM IST

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