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झारखंड में टीकाकरण: इस रफ्तार से 3 साल से ज्यादा वक्त लगेगा

झारखंड में कोरोना वारियर्स के अलावा 45 प्लस आयु वर्ग के कुल 27,76,923 लोगों को वैक्सीन दी गई है

मोहम्मद सरताज आलम
राज्य
Published:
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फोटो:क्विंट हिंदी

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14 मई से झारखंड सरकार ने 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को कोरोना का टीका लगाना शुरू किया है. लेकिन राज्य में वैक्सीनेशन की जो रफ्तार है अगर आगे ही भी वैसा ही रहा तो 18 से 44 की पूरी आबादी को वैक्सीन देने में 3 साल से ज्यादा का वक्त लग जाएगा. झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का कहना है कि चाहे वैक्सीन हो या फिर ऑक्सीजन, सिलिंडर और N95 मास्क, केंद्र से झारखंड को मदद ऐसी मिली है जैसे ऊंट के मुंह में जीरा

झारखंड में कोविड वैक्सीन आंकड़ों की नजर से

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार 13 मई तक 3,29,88,134 आबादी वाले झारखंड में कोरोना वारियर्स के अलावा 45 प्लस आयु वर्ग के कुल 27,76,923 लोगों को वैक्सीन दी गई है. इनमें से 6.39 लाख को दोनों डोज मिले हैं. यानी करीब 21 लाख लोगों को दूसरा डोज मिलना है. लेकिन झारखंड के पास महज 4,08,640 वैक्सीन डोज ही उपलब्ध हैं.

वैक्सीन की कमी का ही नतीजा था कि बाकी देश की तरह 1 मई से यहां 18 प्लस के लिए वैक्सीनेशन शुरू नहीं हो पाया. स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि झारखंड में 18 से 45 आयु वर्ग के बीच की आबादी 1.57 करोड़ है. इस आबादी के लिए प्रथम एवं द्वतीय डोज के लिए 3.14 करोड़ वैक्सीन की आवश्यकता है. लेकिन केंद्र द्वारा इस आयु वर्ग के लिए कोविशील्ड की 4,87,569 एवं कोवैक्सीन की 1,34,000 वैक्सीन यानी कुल 6,21,569 वैक्सीन का आवंटन स्वीकृत हुआ. मिले हैं मात्र 2,34,000 डोज.

झारखंड में वैक्सीन का गणित

वैक्सीन डोज मिले - 34.16 लाख

सिंगल डोज मिला- 27.76 लाख

दोनों डोज मिला - 6.39 लाख

उपलब्ध डोज - 6.42 लाख

वैक्सीन डोज चाहिए- 3.35 करोड़

झारखंड स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार 16 जनवरी से 13 मई तक लगभग चार महीने में कुल वैक्सीनेशन 34,16,474 हुई. तो सवाल ये उठता है कि 18 प्लस एवं 45 प्लस आयु वर्ग के लिए 3.14 करोड़ एंव 21 लाख (जिन्हें एक डोज मिल चुक है) यानी कुल 3.35 करोड़ शेष वैक्सीनेशन में कितना समय लगेगा? गणना करने पर साफ पता चलता है कि इस बड़ी संख्या को वैक्सीन लगाने में लगभग 40 महीने लगेंगे. कोविड के कहर के बीच तीन साल से ज्यादा का इंतजार करने के लिए शायद बहुत से लोग बचेंगे नहीं.

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वैक्सीनेशन के सवाल पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्नागुप्ता ने क्विंट से कहा कि केंद्र पूरे देश में वैक्सीनेशन पर जोर देने की बात करता है लेकिन सवाल यह है कि केंद्र जब जरूरत भर वैक्सीन देगा ही नहीं तो वैक्सीन लगेगी कैसे?

केंद्र से झारखंड को मिली मदद ऊंट के मुंह में जीरा के समान- स्वास्थ्य मंत्री, झारखंड

18-44 आयु र्ग के लिए जब हमने पचीस लाख वैक्सीन की मांग की तो केंद्र ने कहा कि 15 मई के बाद वैक्सीन मिलेगी. बहुत जद्दोजहद की तब केंद्र सरकार ने झारखंड को 2.34 लाख डोज दिए
बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य मंत्री

स्वास्थ्य मंत्री ने क्विंट से आगे कहा कि मसला सिर्फ वैक्सीन का ही नहीं है. आप ऑक्सीजन की आपूर्ति को ही ले लीजिए. जब देश भर के लोग कोरोना महामारी की वजह से ऑक्सीजन के लिए जूझ रहे थे. हमने गुजरात की एक कंपनी को चार हजार ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने के लिए टेंडर दिया. आज एक महीना हो चुका है, लेकिन सिलेंडर नहीं मिले. कंपनी कहती है कि गुजरात सरकार उनको सिलेंडर बनाने के लिए ऑक्सीजन नहीं दे रही है. अब ऑक्सीजन न मिलने पर वेल्डिंग नहीं हो सकेगी, ऐसे में सिलेंडर झारखंड को मिल नहीं सके.

दूसरी तरफ हमने केंद्र से 6 हज़ार B एवं D टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग की लेकिन झारखंड को सिर्फ 90 ऑक्सीजन सिलेंडर दिए. झारखंड के साथ सौतेलेपन का एक और उदाहरण यह है कि केंद्र ने देश भर में 1057 ऑक्सीजन प्लांट बनाने का निर्णय लिया, लेकिन झारखंड को सिर्फ एक प्लांट ही मिला है. देश की जनसंख्या की तुलना में जब झारखंड की पॉपुलेशन 2.4% है, तो 1057 प्लांट का 2.4% लगभग 25 प्लांट होता है. ऐसे में झारखंड को 25 के स्थान पर एक ही प्लांट देना कहां से न्यासंगत है.

कोरोना से जारी लड़ाई के लिए केंद्र से अन्य कई सुविधा न मिलने का दावा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने क्विंट से आगे कहा कि-

हमने केंद्र से दो लाख N95 मास्क मांगा लेकिन मिले सिर्फ 90 हज़ार, 1500 वेंटीलेटर मांगा लेकिन झारखंड को मिले 500. यही नहीं विदेश से आने वाली ऑक्सीजन से भी झारखंड को कुछ नहीं मिला. जब राज्य में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की झारखंड को ज़रूरत थी, उसकी आपूर्ति प्रभावित थी तब झारखंड के मुख्यमंत्री ने केंद्र को लिखा कि पचास हज़ार रेमडेसिवीर इंजेक्शन बंगलादेश से खरीदने की अनुमति दी जाए. लेकिन उस समय यह सुविधा नहीं दी गई.
स्वास्थ्य मंत्री, झारखंड

बन्ना गुप्ता कहते हैं-

“सवाल तो यह है कि झारखंड वासियों ने केंद्र सरकार को 12 सांसद दिए हैं. हमने उन सांसदों से भी अपील की कि जनता ने आपको भी जिताया है, आप प्रधानमंत्री से कम से कम 25 से 30 ऑक्सीजन प्लांट क्यों नहीं दिलवा सकते. लेकिन अभी तक कहीं कोई सुनवाई नहीं है.”

बीजेपी सांसद का जवाब

केंद्र सरकार पर झारखंड स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा लगाए गए आरोपों को ले कर क्विंट ने रांची के बीजेपी सांसद संजय सेठ से सम्पर्क किया. रांची सांसद ने कहा कि देश के हर जिले के अंदर ऑक्सीजन प्लांट लगने हैं. एक साथ तो सभी जगह प्लांट का निर्माण किया नहीं जा सकता, एक-एक करके ही प्लांट लगाए जाएंगे. पहले पश्चिम सिंहभूम में उसके बाद दूसरे जिलों का नम्बर भी आएगा. रही बात वेंटिलेटर की तो जितने वेंटिलेटर हमने दिए राज्य सरकार उसको नहीं चला पा रही है. बंगलादेश की रेमडेसिविर भारत में अप्रूव नहीं है. ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए पूरा देश जूझ रहा है, लेकिन सबको आपूर्ति करनी है.

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