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2-5 लाख में एक बच्चा, गोरे की कीमत ज्यादा: कैसे हुआ वाराणसी गिरोह का भंडाफोड़?

गिरोह के सदस्य वाराणसी में वारदात को अंजाम देते थे और बच्चों को शहर के बाहर ले जाकर 2 से 5 लाख रुपए में बेच देते थे.

चंदन पांडे
राज्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>2-5 लाख में एक बच्चा, गोरे की कीमत ज्यादा: कैसे हुआ वाराणसी गिरोह का भंडाफोड़?</p></div>
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2-5 लाख में एक बच्चा, गोरे की कीमत ज्यादा: कैसे हुआ वाराणसी गिरोह का भंडाफोड़?

(फोटो: Accessed by Quint Hindi)

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उत्तर प्रदेश में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने बच्चा चोरी करने वाले गिरोह को धर दबोचा है. बीते दिनों वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र में बच्चा चोरी होने के बाद पुलिस हरकत में आई थी. मामले में भेलूपुर थाने में दर्ज एफआईआर में कार्रवाई करते हुए एक अभियुक्त को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस की कई टीमों ने राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद से कुल 10 गिरफ्तारियां की.

बता दें की गिरोह के सदस्य वाराणसी में वारदात को अंजाम देते थे और बच्चों को शहर के बाहर ले जाकर 2 से 5 लाख रुपए में बेच देते थे.

एडिशनल सीपी ने किया खुलासा

वाराणसी के एडिशनल सीपी संतोष कुमार सिंह ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि बीते 14 मई को भेलूपुर थानाक्षेत्र के आचार्य रामचंद्र शुक्ल चौराहे पर सो रहे दंपति का 4 वर्षीय बच्चा कुछ लोगों ने कार से आकर अगवा कर लिया था. यह पूरी घटना चौराहे पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी. दंपति की एफआईआर पर भेलूपुर पुलिस ने जांच की तो सीसीटीवी फुटेज से सच्चाई सामने आ गई. जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और पहली गिरफ्तारी के बाद अलग-अलग जगहों से दस से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की है.

तीन बच्चों को किया बरामद

बच्चा चोरी की घटना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन के निर्देश पर लंका, भेलूपुर, कैंट थाना और क्राइम ब्रांच की टीम 'बच्चा चोरों को पकड़ें' की मुहीम में लगे और सर्विलांस के जरिये इनकी लोकेशन ट्रेसकर संतोष कुमार गुप्ता को पकड़ने में सफलता हासिल हुई.

बाद में संतोष की निशानदेही पर झारखंड और राजस्थान से गैंग के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर दो बच्चों को सकुशल बरामद कर लिया गया. इसी क्रम में दूसरे गिरोह से जुड़े भीलवाड़ा राजस्थान निवासी भंवरलाल को गिरफ्तार कर एक बच्चे को बरामद किया गया है.

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पुलिस ने कैसे गिरोह को पकड़ा?

बच्चा चोरी का मुकदमा दर्ज होने के बाद विवेचना अधिकारी दरोगा आनंद चौरसिया ने अपनी जांच शुरू की. बताया कि सबसे पहले कार को ट्रेस किया, इसके बाद जैसे ही पहली गिरफ्तारी हुई राज खुलने लगे. अलग-अलग टीमों ने दूसरे राज्यों से करीब 10 लोगों को गिरफ्तार किया. टीम ने 2 बच्चों को भी इनके चंगुल से छुड़ाया. आनंद ने कहा यह लोग बच्चे की चोरी करते हैं और उसे निःसंतानों को बेचते हैं.

पूछताछ में आरोपियों ने बताया की अबतक 7 बच्चों का अपहरण इनके द्वारा किया गया है, जिसमे प्रयागराज से दो, मिर्जापुर से दो और तीन वाराणसी जनपद से थे.

गिरफ्तार आरोपियों में संतोष और विनय मिश्रा शिवदासपुर, मंडुवाडीह के हैं जो बच्चो को गाड़ी से उठाने का काम करता थे. पुलिस के अनुसार, शिखा मोदनवाल जो संतोष की रिश्तेदार है, वह इस पूरे गैंग की असली सूत्रधार है. बच्चा किसको बेचना है, कितना पैसा लेना है, ये सारा कुछ यही तय करती थी. इसे भी गिरफ्तार किया जा चुका है. बिहार से मनीष राणा और राजस्थान से मनीष जैन गिरफ्तार हुआ है.

गोरे, सुंदर बच्चों का मिलता था ज्यादा पैसा

बच्चा चोर गिरोह गरीब परिवार के बच्चों का अपहरण कर बेचता है. जितना सुंदर बच्चा, उतना अधिक पैसा मिलता है. पुलिस की गिरफ्त में आए संतोष ने बताया कि सड़क किनारे झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले परिवारों को निशाना बनाते हैं. रात में परिवार के सोने के बाद बच्चों का अपहरण कर ले जाते हैं.

इसके लिए पहले रेकी करते हैं. रेकी के दौरान ही सुंदर बच्चों को चिह्नित कर लेते हैं. जितना सुंदर बच्चे होते हैं, उतनी अधिक कीमत मिलती है.

पुलिस की पूछताछ में आरोपी शिखा ने बताया कि जो निःसंतान दंपती बच्चा लेते हैं, उनकी कुछ शर्तें होती हैं. शर्त की प्रमुख बातें यह हैं कि लड़का हो, गोरा व खूबसूरत हो और उम्र अधिकतम चार साल तक हो. इन शर्तों को पूरा करने पर बच्चे की मुंह मांगी कीमत मिलती है. बच्चा सांवला हो या फिर लड़की हो तो उसकी कम कीमत मिलती है.

शिखा ने बताया कि संतोष सहित उसके गिरोह के अन्य सदस्यों ने हाल ही में लहरतारा क्षेत्र से एक सांवली बच्ची का अपहरण किया था. उसे बेचने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं बनी तो बच्ची को उसकी झोपड़ी के पास पुनः ले जाकर छोड़ दिया गया.

सीसीटीवी के जरिए पकड़े गए अपराधी

अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) संतोष कुमार सिंह ने बताया कि रामचंद्र शुक्ल चौराहा से बच्चा अगवा होने की जानकारी मिलते ही दुर्गाकुंड चौकी प्रभारी आनंद चौरसिया ने सीसी कैमरों की मदद से कार की तलाश शुरू कर दी थी. कार को चिह्नित कर उन्होंने सबसे पहले विनय को चिह्नित किया. इसके साथ ही संतोष गुप्ता के बारे में भी जानकारी जुटाई.

संतोष गुप्ता पकड़ा गया तो पूछताछ में उससे मिली जानकारी के आधार पर इंस्पेक्टर अंजनी कुमार पांडेय ने सर्विलांस की मदद से काम करना शुरू किया. इंस्पेक्टर अंजनी द्वारा उपलब्ध कराए गए इनपुट के आधार पर दुर्गाकुंड चौकी प्रभारी राजस्थान से लेकर गुजरात तक ताबड़तोड़ दबिश दिए और 10 आरोपी पकड़े गए.

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