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ओम थानवी और कलराज मिश्र क्यों आमने-सामने? राजस्थान की यूनिवर्सिटी का पूरा विवाद

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया पर रोक को लेकर BJP विधायक वासुदेव देवनानी ने राज्यपाल को पत्र लिखा था

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<div class="paragraphs"><p>राज्यपाल कलराज मिश्र और कुलपति ओम थानवी</p></div>
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राज्यपाल कलराज मिश्र और कुलपति ओम थानवी

फोटो- क्विंट

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दो फरवरी को राज्यपाल कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) ने बीजेपी सरकार में शिक्षा मंत्री रहे वासुदेव देवनानी के एक पत्र पर एक्शन लेते हुए हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी. इसके साथ ही राज्यपाल कलराज मिश्र ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निर्देश दिए हैं कि रिटायरमेंट में 3 महीने का समय बचा हो तो कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं ले सकेंगे.

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया पर रोक को लेकर बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने राज्यपाल को पत्र लिखा था. देवनानी ने कहा कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी का कार्यकाल मार्च में खत्म हो रहा है.

देवनानी ने कहा कि "पक्षपातपूर्ण और अन्यायिक निर्णय होने की आशंका के चलते कुलपति को कार्यकाल के अंतिम तीन महीनों में नीतिगत निर्णय लेने और नियुक्तियां करने से बचना चाहिए, लेकिन वो विश्वविद्यालय की परंपराओं को ताक पर रखकर धड़ल्ले से नियमों विरुद्ध भर्ती कर रहे हैं, जिस पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने की सख्त आवश्यकता है."

विधायक संयम लोढ़ा ने राज्यपाल के निर्णय पर उठाए थे सवाल

विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के सदस्य विधायक और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सहलाकार संयम लोढ़ा ने इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब कार्यकाल के अंतिम समय कुलाधिपति कुलपति को नियुक्त कर सकते हैं तो फिर कुलपति क्यों नहीं? उन्होंने इस मसले पर सोशल मीडिया पर लिख कर भी आपत्ति जताई थी.

वहीं इस मसले को लेकर ओम थानवी ने ट्वीट किया, "विश्वविद्यालय में मेरा कार्यकाल मार्च के पहले हफ्ते तक है. समझ सकता हूं कि एक दो बीजेपी नेता अचानक सक्रिय होकर ऐसे बयान क्यों देने लगे जिनका न सिर है न पैर. जो बातें तीन वर्ष में नहीं सूझी, उन्हें अब कल्पना के सहारे उछाल रहे हैं. उन्हें कौन शह देर रहा है और क्यों, यह मैं वक्त आने पर बताऊंगा."

थानवी ने आगे लिखा कि, "जब मैं खुद सार्वजनिक रूप से कह चुका हूं कि विश्वविद्यालय अधिनियम में कोई बंदिश नहीं है, फिर भी मैं नैतिक रूप से अपने कार्यकाल के समापन के दौर में नियुक्तियां करने का कोई इरादा नहीं रखता फिर भी वे गड़बड़ियों की आशंका कहां ढूंढ रहे हैं? उन्होंने यूजीसी के नियमों को लेकर भी कहा कि इनको लेकर भी गुमराह किया जा रहा है."

थानवी ने विश्वविद्यालय की 21 फरवरी को प्रबंध बोर्ड की और 25 फरवरी को सलाहकार बोर्ड की बैठक बुलाई. इस पर भी राज्यपाल कलराज मिश्र ने रोक लगा दी. राजभवन से बताया गया कि कुलपति ओम थानवी की सेवानिवृत्ति में 2 सप्ताह बचने के कारण यह रोक लगाई गई है.

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18 फरवरी को नीतिगत निर्णय नहीं लेने के लिए जारी किए निर्देश

विभाग ने विधानसभा सत्र के दौरान विश्वविद्यालयों को बैठक आयोजित नहीं करने लिए कहा था. इस आधार पर राजभवन ने इन बैठकों के आयोजन पर रोक लगाई है. साथ ही ओम थानवी नीतिगत निर्णय नहीं ले सकेंगे. इस संबंध में राज्यपाल को मावली विधायक धर्म नारायण जोशी ने ज्ञापन दिया था. विधायक ने सेवानिवृत्ति में 2 सप्ताह बचने पर नीतिगत निर्णय लेने पर रोक लगाने का आग्रह किया था.

बता दें कि 1 फरवरी को राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया पर भी रोक लगाई थी.

हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की ओर से 4 दिसंबर 2021 को 5 प्रोफेसर, 9 एसोसिएट प्रोफेसर, 9 असिस्टेंट प्रोफेसर और असिस्टेंट लाइब्रेरियन के 1 पद के लिए भर्ती निकाली गई थी. उसे अब स्थगित कर दिया गया है.

अब इन पदों के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों के मन में यही संशय है कि क्या विश्वविद्यालय में भर्तियों को पूरा करने के लिए नए कुलपति का इंतजार किया जाएगा या मौजूदा कुलपति के कार्यकाल में इन भर्तियों को संपन्न कराया जा सकेगा?

विश्वविद्यालय को लेकर बीजेपी-कांग्रेस में विवाद

हरिदेव जोशी विश्वविद्यालय को लेकर बीजेपी और कांग्रेस सरकारों के बीच विवाद रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने दूसरे कार्यकाल विश्वविद्यालय को शुरु किया था. कांग्रेस सरकार के समय स्थापित इस विश्वविद्यालय के पहले कुलपति वरिष्ठ पत्रकार सनी सेबेस्टियन थे. इसके सलाहकार मंडल में देश के कई वरिष्ठ पत्रकारों को शामिल किया गया था.

बाद में वसुंधरा राजे सरकार ने पिछली सरकार के निर्णयों की समीक्षा के लिए एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति का गठन किया था और इस समिति ने अपनी सिफारिश में अंबेडकर और पत्रकारिता विश्वविद्यालय को बंद करने की सिफारिश की थी. सिफारिशों के तहत पत्रकारिता विश्वविद्यालय को बंद कर राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में मर्ज कर दिया गया था.

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