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दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद, एक बार फिर सबका ध्यान शाहीन बाग पर है. जहां नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में लगभग 50 दिनों से महिलाएं प्रदर्शन कर रही है.
शाहीन बाग में आखिर आगे क्या होगा, प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग वाली याचिका पर कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक जगह पर ज्यादा दिनों तक धरना ठीक नहीं है.
जस्टिस संजय किशन कौल ने 10 फरवरी को सुनवाई के दौरान कहा कि आप कैसे एक सार्वजनिक सड़क को रोक सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी.
सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर प्रदर्शनकारियों को हटाने का आदेश देने से इनकार कर दिया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अनंतकाल के लिए किसी सार्वजनिक रास्ते को बंद नहीं किया जा सकता है. जस्टिस कौल ने कहा कि इस तरह के विरोध प्रदर्शनों को करने के लिए सही जगह की पहचान की जानी चाहिए. अब इस मामले पर 17 फरवरी को सुनवाई होगी.
जस्टिस कौल ने कहा,
मंगलवार को प्रोटेस्ट साइट पर आए ज्यादातर लोगों ने बात करने से मना कर दिया क्योंकि उस दिन उन्होंने सामूहिक रूप से साइलेंट प्रोटेस्ट करने का फैसला किया था.
हालांकि नाम न बताने की शर्त पर, एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि, वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे.
साइलेंट प्रोटेस्ट के चलते क्विंट को किसी भी अलटरनेट प्रोटेस्ट साइट के बारे में ठोस जानकारी नहीं मिल पायी है. जानकारी मिलते ही इस स्टोरी को अपडेट किया जायेगा.
एक दूसरे प्रदर्शनकारी,रिजवान ने भी कहा कि वो SC के आदेश का पालन करेंगे.
रिजवान ने कहा, 'हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है और 17 फरवरी को जो भी फैसला होगा, हम सभी उसका पालन करेंगे.’
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