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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में साल 2013 के दंगों का मामला एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है. बीजेपी नेता अब इस दंगे के बाद दर्ज हुए 400 मुकदमों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. सोमवार को कुछ बीजेपी नेताओं ने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की.
इनमें बीजेपी सांसद संजीव बालियान, विधायक संगीत सोम और किसान नेता नरेश टिकैत समेत करीब 10 लोग शामिल थे. इस प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि सीएम ने उन्हें आश्वासन दिया और इस मुद्दे पर कानूनी राय लेने की बात कही है.
बालियान का कहना है कि 400 मुकदमों में करीब 856 लोगों को फंसाया गया, जबकि इनमें से 9 मामलों में 100 महिलाओं को भी आरोपी बनाया गया. बीजेपी नेता ने इन मामलों को फर्जी बताया है. बालियान ने कहा कि उन्होंने सीएम से बच्चों और महिलाओं के केस वापस लेने की विनती की है. उन्होंने पिछली अखिलेश सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया, जिसकी वजह से सही लोगों को मुआवजा भी नहीं मिल सका.
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यूपी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगा मामले में बीजेपी नेताओं के खिलाफ मुजफ्फरनगर की एक कोर्ट में चल रहे नौ आपराधिक मामलों को वापस लेने की संभावना पर सूचना मांगी थी.
जिलाधिकारी को पांच जनवरी को लिखे पत्र में उत्तर प्रदेश के न्याय विभाग में विशेष सचिव राज सिंह ने 13 बिंदुओं पर जवाब मांगा है, जिनमें जनहित में मामलों को वापस लिया जाना भी शामिल है. पत्र में मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का विचार भी मांगा गया है.
बहरहाल, पत्र में नेताओं के नाम का जिक्र नहीं है, लेकिन उनके खिलाफ दर्ज मामलों की फाइल संख्या का जिक्र है. आरोपी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने, नौकरशाहों के काम में बाधा डालने और उनको गलत तरीके से रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं.
साल 2013 में अगस्त-सितंबर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इसमें काफी आगजनी हुई थी. दंगे में 60 लोगों की मौत हुई थी और करीब 40 हजार लोग बेघर हो गए थे.
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