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नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)| फिल्मकार अमोल पालेकर का कहना है कि दिवंगत दिग्गज फिल्मकार सत्जीत रे पहले ऐसे निर्देशक थे, जिन्होंने हॉलीवुड और मुंबई के फिल्म निर्माण के ढर्रे से अलग अपनी शैली में फिल्में बनाई। व्यावसायिक कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले रे 1948 में लंदन दौरे के दौरान फ्रांसीसी फिल्मकार जीन रेनॉइर से मुलाकात और वित्तोरिया दे सिका की इतालवी फिल्म 'बाइसिकल थीव्ज' देखने के बाद स्वंतत्र फिल्म निर्माण में उतर आए।
पालोकर बुधवार को फिल्मकार गोपाल कृष्णन के साथ सत्यजीत पर एक प्रदर्शनी व सम्मेलन 'रीविजटिंग रे' पर चर्चा के सिलसिले में नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि दे सिका के प्रभाव ने उस समय रे को फिल्म निर्माण के पुराने ढर्रे से अलग हटकर फिल्म बनाने में मदद की।
पालेकर ने कहा, सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा और अपने फिल्म निर्माण के हर पहलू के हिसाब से इसके स्रोत थे। उनके काम का पुनर्मूल्यांकन करने की कोशिश करना व्यर्थ होगा। 1940 के दशक के अंत तक एक प्रेम कहानी सीधे तौर पर वर्णन की शैली में बताई गई। अधिकांश फिल्मकारों ने हॉलीवुड के अंदाज को अपनाया, जिनकी फिल्मों में कलाकार पेड़ों के इर्द-गिर्द दौड़ते-नाचते नजर आते थे।
रे की पहली फिल्म 'पाथेर पांचाली' (1955) थी।
पालेकर ने कहा कि सत्यजीत रे ने हॉलीवुड और मुंबई की फिल्म निर्माण के ढर्रे से अलग जाकर फिल्में बनाई।
उन्होंने कहा,सत्यजीत रे पहले ऐसे भारतीय निर्देशक थे, जिन्होंने हॉलीवुड और बांबे (मुंबई) के फिल्म निर्माण के ढांचे को तोड़कर अपनी शैली में फिल्में बनाई, एक ऐसा पथ जिसका अनुसरण गुरु दत्त, बिमल रॉय और राज कपूर करने में नाकाम रहे।
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