advertisement
गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा में लंबे समय से तैनात सीआरपीएफ के जवानों में थकावट के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. सुकमा हमले के बाद गृह मंत्रालय ने अधिकारियों की एक टीम सुकमा में तैनात जवानों की मानसिक और शारिरिक हालत की पड़ताल की है.
अधिकारियों ने पाया कि बस्तर क्षेत्र में उच्च जोखिम वाले नक्सल विरोधी अभियान चलाने वाले अर्धसैनिक बल के 45 हजार जवानों में से अधिकतर जवान वहां तीन वर्षों से भी ज्यादा वक्त से तैनात हैं.
टीम के मुताबिक लगातार बस्तर में तैनात रहना बेहद तनावपूर्ण है और यही कारण है कि जवान अन्य कहीं भी नक्सल विरोधी अभियान में जाने को तरजीह देते हैं. जवान कश्मीर तक जाना पसंद कर रहे हैं जहां सुरक्षाबलों को लगातार आतंकवादी हमलों और पथराव की घटना का सामना करना पड़ता है.
गृह मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक सोमवार को नक्सलियों ने जिन सौ शक्तिशाली जवानों पर हमला किया था वह पर्याप्त रुप से सतर्क नहीं थे जिसके कारण इतना बड़ा हादसा हुआ. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नक्सल विरोधी अभियानों के लिए जरुरी साजो सामान और आधारभूत ढांचा मुहैया करा कर जवानों का मनोबल बढ़ाने का प्रयास कर रही है.
छत्तीसगढ़ में जवानों के पास 58 बारुदी सुरंग रक्षक वाहन हैं. इसके अलावा 30 वाहनों की खरीद की जानी है. बस्तर क्षेत्र में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के कम से कम 45 हजार और राज्य पुलिस के 20 हजार जवान तैनात किए गए हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)