Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019तमिलनाडु में हिंदी थोपने के प्रयासों पर स्टालिन ने PM मोदी को लिखा पत्र

तमिलनाडु में हिंदी थोपने के प्रयासों पर स्टालिन ने PM मोदी को लिखा पत्र

CM ने कहा- केंद्र सरकार का दृष्टिकोण तमिल समेत सभी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का होना चाहिए.

IANS
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>तमिलनाडु में हिंदी थोपने के प्रयासों पर स्टालिन ने PM मोदी को लिखा पत्र</p></div>
i

तमिलनाडु में हिंदी थोपने के प्रयासों पर स्टालिन ने PM मोदी को लिखा पत्र

(Photo: IANS)

advertisement

तमिलनाडु (Tamilnadu) के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन (M.K.Stalin) ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक पत्र लिखा, जिसमें दावा किया गया कि गैर-हिंदीभाषी राज्यों में वन नेशन थ्योरी के तहत हिंदी को लागू करने का केंद्र सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।

स्टालिन ने पत्र में कहा, गैर-हिंदीभाषी लोगों पर हिंदी थोपने का प्रयास विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के लोगों के भाईचारे की भावना को नष्ट कर देगा।

उन्होंने पत्र में कहा, हिंदी को थोपने के हालिया प्रयास अव्यावहारिक और विभाजनकारी हैं। गैर-हिंदीभाषी लोगों को कई मायनों में अजीबो-गरीब स्थिति का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने पत्र में आगे कहा, यह स्वीकार्य नहीं है, न केवल तमिलनाडु को, बल्कि किसी भी गैर-हिंदीभाषी राज्य को, जो अपनी मातृभाषा को सम्मान और महत्व देता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का दृष्टिकोण तमिल समेत सभी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का होना चाहिए।

उन्होंने आधिकारिक भाषाओं पर संसदीय उप-समिति की एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया, जिसमें सिफारिश की गई थी कि केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएम, एम्स और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा का अनिवार्य माध्यम हिंदी होना चाहिए।

स्टालिन ने आगे कहा कि यह भी (उप-समिति द्वारा) सिफारिश की गई थी कि हिंदी को अंग्रेजी की जगह लेनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में कई युवाओं ने 1965 में भड़के हिंदी विरोधी आंदोलनों में अपने प्राणों की आहुति दी थी।

स्टालिन ने पत्र में कहा, जवाहरलाल नेहरू ने लोगों की भावनाओं का सम्मान किया और आश्वासन दिया कि गैर-हिंदीभाषी लोग जब तक चाहें, अंग्रेजी आधिकारिक भाषाओं में से एक बनी रहेगी।

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT