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हैदराबाद, 7 अप्रैल (आईएएनएस)| तेलंगाना आंदोलन चलाकर क्षेत्र को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने वाले कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव (केसीआर) न केवल सत्ता पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं, बल्कि बेटे को अपने उत्तराधिकारी के रूप में तैयार कर रहे हैं।
लोकसभा में गैर भाजपा और गैर कांग्रेस दलों के सबसे बड़े समूह के रूप में उभरने की स्थिति में राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाने की योजना के साथ 65 वर्षीय इस नेता ने इस बारे में कोई संदेह नहीं छोड़ा है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को ऐतिहासिक जीत दिलाने के बाद केसीआर ने अपने बेटे के. तारका रामा राव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। केटीआर के नाम से प्रसिद्ध युवा नेता को केसीआर ने कैबिनेट में शामिल नहीं किया है। चूंकि टीआरएस प्रमुख ने अभी तक मंत्रियों को विभाग भी आवंटित नहीं किए हैं, लिहाजा इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि वह लोकसभा चुनाव बाद केंद्र में उभरने वाली स्पष्ट तस्वीर का इंतजार कर रहे हैं।
केटीआर, केसीआर की पिछली कैबिनेट में मंत्री रहे थे और उन्होंने सरकार व पार्टी दोनों में नंबर दो की भूमिका निभाई थी। अपने पिता की तरह बहुभाषी और अच्छे वक्तृत्व कौशल के लिए जाने जाने वाले केटीआर ने अक्सर राज्य के कई कार्यक्रमों में वास्तविक मुख्यमंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व किया है।
सूचना प्रौद्योगिकी पृष्ठभूमि के साथ अमेरिका से पढ़कर आए नेता ने पिछले कैबिनेट में सूचना प्रौद्योगिकी, उद्योग और शहरी विकास जैसे प्रमुख विभागों को संभाला था। सोशल मीडिया टूल का प्रभावी ढंग से उपयोग कर युवाओं और सामाजिक पहुंच के साथ वह टीआरएस का एक लोकप्रिय चेहरा बन गए हैं।
बड़े सम्मेलनों में राज्य की नई पहलों पर आईटी व अन्य उद्योग दिग्गजों के साथ बात करने, समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने या वार्ता को आगे बढ़ाने से वह लोगों की नजरों में आए। राजनीतिक रूप से उन्होंने अन्य दलों के विधायकों सहित नेताओं को टीआरएस में शामिल कराने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 2015 में हैदराबाद के नगर निगम चुनाव में पार्टी की पहली जीत में अहम भूमिका निभाई थी।
केटीआर और उनकी एकमात्र बहन कविता ने उस वक्त राजनीति में प्रवेश किया था, जब उनके पिता द्वारा चलाया जा रहा तेलंगाना आंदोलन अपने चरम पर था।
केटीआर ने 2009 में करीमनगर के सिर्सिल्ला से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। वह 2014 और 2018 में फिर से निर्वाचित हुए।
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