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आतंकवाद निरोधी एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप में कट्टरपंथ से जुड़े 10 दिन पहले दर्ज एक मामले के सिलसिले में अनंतनाग, श्रीनगर, अवंतीपोरा, बारामूला और कुछ अन्य जगहों पर छापेमारी की गयी।
इसके अलावा, एनआईए, इंटेलिजेंस ब्यूरो, रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग), और जम्मू-कश्मीर पुलिस संयुक्त रूप से जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में सुबह से शुरू हुए तलाशी अभियान में शामिल हैं।
अधिकारी के अनुसार, मामला ऑनलाइन कट्टरपंथ से संबंधित है और एजेंसी को कट्टरपंथी प्रक्रिया के पीछे कुछ विदेशी आधारित संचालकों की भागीदारी के बारे में इनपुट मिले हैं।
छापेमारी सुरक्षा बलों और मामले में शामिल जांच एजेंसियों द्वारा हिरासत में लिए गए कुछ लोगों से प्राप्त इनपुट पर आधारित थी।
यह छापेमारी जम्मू-कश्मीर के 11 सरकारी कर्मचारियों, जिनमें मोस्ट वांटेड आतंकवादी सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों सहित आतंकी फंडिंग गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए हटा दिया गया था, उसके एक दिन बाद हो रही है।
एजेंसी के अधिकारियों ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि एनआईए को हिजबुल मुजाहिदीन की आतंकी गतिविधियों के लिए हवाला लेनदेन के माध्यम से धन जुटाने, प्राप्त करने, जमा करने और ट्रांसफर करने में शामिल दोनों व्यक्तियों के आतंकी फंडिंग ट्रेल्स के बारे में कुछ इनपुट मिले हैं।
गुप्त आतंकी अभियान के सामने आने के बाद, संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत जम्मू-कश्मीर के 11 सरकारी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं, जिसके तहत कोई जांच नहीं होती है। ऐसे मामलों को देखने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में एक नामित समिति की सिफारिश के बाद कार्रवाई की गई थी।
इनपुट के अनुसार, 11 में से चार कर्मचारी शिक्षा विभाग में, दो जम्मू-कश्मीर पुलिस में, एक शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में और एक-एक कृषि, कौशल विकास, बिजली और स्वास्थ्य विभागों में कार्यरत थे।
बर्खास्त किए गए इन 11 कर्मचारियों में से चार अनंतनाग, तीन बडगाम, एक-एक बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और कुपवाड़ा के हैं।
सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में मामलों की जांच और सिफारिश के लिए नामित समिति ने अपनी दूसरी और चौथी बैठक में सरकारी सेवा से बर्खास्तगी के लिए तीन और आठ मामलों की सिफारिश की।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि समिति की दूसरी बैठक में बर्खास्त करने के लिए अनुशंसित तीन अधिकारियों में आईटीआई कुपवाड़ा का एक अर्दली शामिल है, जो आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक ओवरग्राउंड वर्कर था। वह आतंकियों को सुरक्षाबलों की आवाजाही और गुप्त तरीके से गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आतंकियों को उकसाने और पनाह देने की जानकारी मुहैया करा रहा था।
--आईएएनएस
एचके/आरजेएस
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