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साइबराबाद पुलिस ने शुक्रवार, 28 अक्टूबर को तेलंगाना हाईकोर्ट के समक्ष जो रिमांड रिपोर्ट पेश की है, उसमें न केवल उन तीन लोगों को पकड़ने के ऑपरेशन की डीटेल है, जो BJP में शामिल करवाने के लिए टीआरएस (TRS MLA) के चार विधायकों को रिश्वत देने के आरोपी हैं बल्कि पुलिस ने इसमें "तेलंगाना की चुनी हुई सरकार गिराने" की साजिश रचे जाने का दावा भी किया है.
ये तीन आरोपी हैं– सतीश शर्मा उर्फ रामचंद्र भारती, के नंदकुमार, और DPSKVN सिम्हायाजी, इन पर आरोप है कि इन्होंने कथित तौर पर 250 करोड़ रुपए की घूस टीआरएस विधायक रोहित रेड्डी, भीराम हर्षवर्धन, पी रेगा कांथा राव और गुवाला बालाराजू को देने की कोशिश की.
तीनों आरोपी पर IPC की आपराधिक साजिश रचने की धाराएं और एंटी करप्शन एक्ट 1988 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
यहां आपको बताते हैं कि पुलिस ने विधायकों को बेईमानी से पार्टी तोड़ने की कोशिश के अलावा क्यों लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार गिराने को आपराधिक साजिश बताया है.”
रिमांड रिपोर्ट के मुताबिक, विधायकों को खरीदने की कोशिशें महीनेभर यानी करीब 26 सितंबर से 26 अक्टूबर तक चली थी. पुलिस के मुताबिक रोहित रेड्डी को जहां 100 करोड़ रुपए का लालच बीजेपी में शामिल होने के लिए दिया गया था वहीं उन्हें डराया धमकाया भी गया था.
पुलिस के मुताबिक यह रोहित रेड्डी है जिन्होंने तीनों आरोपी के खिलाफ 26 अक्टूबर को मामला दर्ज कराया. इसके बाद पुलिस हरकत में आई और आरोपियों और विधायकों के साथ होने वाली मीटिंग को लेकर सतर्क हुई जो हैदराबाद के फार्महाउस में होने वाली थी.
पुलिस ने पहले ही फार्महाउस में ऐसे डिवाइसेस लगा दिए थे जहां पर शाम में मीटिंग होने वाली थी. उन डिवाइसेस की मदद से कमरे में होने वाली बातचीत को मॉनिटर किया जा सका. पुलिस को संकेत देने के लिए एक कोडवर्ड बनाया गया था ‘नारियल पानी लाइए’ जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना था.
रिमांड रिपोर्ट बताती है कि मौके से जो वॉयस रिकॉर्डर मिला है उसमें भी सतीश शर्मा की आवाज रिकॉर्ड है. सतीश को ये कहते हुए सुना जा सकता है कि पहले भी कर्नाटक, दिल्ली और दूसरे राज्यों में इस तरह से विधायकों को तोड़ने का प्रयास किया गया है.”
पुलिस ने दावा किया है कि वॉयस रिकॉर्डर से एक और बात का खुलासा हुआ है कि सतीश शर्मा और तुषार के बीच बातचीत हुई कि बीजेपी में बीएल संतोष की क्या भूमिका होगी. पुलिस ने दावा किया है कि यह बातचीत उसी से संबंधित है जो सौदा विधायकों को लेकर होने वाला था. यही आरोपी और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के बीच संबंधों का संकेत देता है.
बताया गया है कि आरोपी के फोन से तुषार वेल्लापल्ली का एक सेल नंबर भी मिला था, जिसका इस्तेमाल पुलिस के मुताबिक साजिश रचने के लिए किया गया था.
एक दूसरा मैसेज एक फोन नंबर पर किया गया है जिसका नाम फोन में ‘संथोष बीजेपी’ के नाम से सेव था. पुलिस के मुताबिक यह नंबर बीएल संतोष का है. इस मैसेज में लिखा गया है, “ जैसे कि मैंने पहले आपको बताया था, हमने आपसे मिलने का तय किया है. यहां हैदराबाद में मौजूद सभी टीआरएस विधायक…फौरन ही पाला बदलने को तैयार हैं.” यहां यह ध्यान देने वीली बात है कि आरोपी ने जो मैसेज भेजा है इस पर मैसेज हासिल करने वाले ने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
फार्महाउस पर जो शुरुआती जांच हुई (जिसका इलेक्ट्रॉनिक सर्वे किया गया था) इसके आधार पर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आरोपियों ने तेलंगाना सरकार को गिराने के लिए विधायकों को "अनुचित और बेईमानी से" कदम उठाने के लिए उकसाया था.
रिमांड रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि आरोपी "बीजेपी के विपक्षी राजनीतिक दलों से संबंधित लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तंत्र और साधनों से उखाड़ फेंकने का प्रयास कर रहे थे".
रिमांड रिपोर्ट में दावा किया गया है कि के नंदकुमार के फोन में तीनों आरोपियों के बीच रिकॉर्ड की गई बातचीत के सबूत थे. साजिश की बात करते हुए बताया गया है कि फोन में टीआरएस और कांग्रेस के 50 विधायकों के नाम थे. साथ ही, आरोपी की गाड़ी जिसे फार्महाउस से लाया गया था, पुलिस ने 50 विधायकों के नामों की एक सूची बरामद की है. रिमांड रिपोर्ट दावा करती है कि यह सब सरकार गिराने की साजिश थी.
शनिवार, 29 अप्रैल को, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने रंगा रेड्डी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कोर्ट के आदेश जिसमें रिमांड नहीं दी गई थी , को खारिज करते हुए तीनों आरोपियों को रिमांड पर भेज दिया है. इस बीच, तेलंगाना बीजेपी ने अपने नेताओं पर लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया है. 28 अक्टूबर को, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार ने यादगिरी मंदिर में 'शपथ' ली और दावा किया कि उनकी पार्टी ने कभी भी टीआरएस विधायकों को खरीदने का प्रयास नहीं किया.
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