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टिकटॉक आत्महत्या, पबजी मौत : डिजिटल लत से यूं लड़ें

टिकटॉक आत्महत्या, पबजी मौत : डिजिटल लत से यूं लड़ें

IANS
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टिकटॉक आत्महत्या, पबजी मौत : डिजिटल लत से यूं लड़ें
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टिकटॉक आत्महत्या, पबजी मौत : डिजिटल लत से यूं लड़ें
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 नई दिल्ली, 16 जून (आईएएनएस)| बच्चों और वयस्कों में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लगातार उपयोग को रोकने के प्रायोगिक तरीके बताते हुए मनोचिकित्सकों ने आगाह किया है कि डिजिटल लत वास्तविक है और यह उतनी ही खतरनाक हो सकती है जितनी की नशे की लत।

 यह चेतावनी पिछले सप्ताह टिकटॉक खेलने से रोकने पर तमिलनाडु में 24 वर्षीय एक मां के आत्महत्या करने और मध्यप्रदेश में पिछले महीने लगातार छह घंटे पबजी खेलने वाले एक छात्र की दिल के दौरे से मौत होने की खबरों के बाद आई है।

विशेषज्ञों ने कहा कि डिजिटल लत से लड़ने के लिए सबसे जरूरी बात इस लत के बढ़ने पर इसका एहसास करना है।

फोर्टिस हेल्थकेयर के मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यावहारिक विज्ञान विभाग के निदेशक समीर पारिख ने आईएएनएस से कहा, "लोगों के लिए काम, घर के अंदर जीवन, बाहर के मनोरंजन तथा सामाजिक व्यस्तताओं के बीच संतुलन कायम रखना सबसे महत्वपूर्ण काम है। उन्हें यह सुनिश्चित करना है कि वे पर्याप्त नींद ले रहे हैं। यह बहुत जरूरी है।"

पारिख ने यह भी कहा कि वयस्कों को प्रति सप्ताह चार घंटों के डिजिटल डिटॉक्स को जरूर अपनाना चाहिए। इस अंतराल में उन्हें अपने फोन या किसी भी डिजिटल गैजेट का उपयोग नहीं करना है।

उन्होंने कहा, "अगर किसी को इन चार घंटों में परेशानी होती है तो यह चिंता करने की बात है।"

नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के मनोचिकित्सा विभाग के सीनियर कंसल्टेंट संदीप वोहरा ने कहा, "गैजेट्स के आदी लोग हमेशा गैजेट्स के बारे में सोचते रहते हैं या जब वे इन उपयोगों का उपयोग नहीं करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें अनिद्रा या चिड़चिड़ापन होने लगता है।"

उन्होंने कहा, "डिजिटल लत किसी भी अन्य लत जितनी खराब है। तो अगर आपको डिजिटल लत है, तो ये संकेत है कि आप अपने दैनिक जीवन से दूर जा रहे हैं। आप हमेशा स्क्रीन पर निर्भर हैं।"

ऐसे लोग व्यक्तिगत स्वच्छता तथा अपनी उपेक्षा तक कर सकते हैं। वे समाज, अपने परिवार से बात करना भी बंद कर देते हैं और अपनी जिम्मेदारियों के बारे में सोचना या अपने नियमित काम करना भी बंद कर देते हैं।

उन्होंने कहा, "ऐसे लोगों में अवसाद, चिंता, उग्रता, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन के साथ-साथ अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी भी हो सकती है।"

वोहरा ने सलाह दी कि लोगों को जब लगे कि उनका बच्चा स्क्रीन पर ज्यादा समय बिता रहा है तो उन्हें सबसे पहले अपने बच्चे से बात करनी चाहिए और उन्हें डिजिटल गैजेट्स से संपर्क कम करने के लिए कहना चाहिए।

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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