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तुगलकाबाद में दोबारा रविदास मंदिर बनने की राह आसान नहीं

तुगलकाबाद में दोबारा रविदास मंदिर बनने की राह आसान नहीं

IANS
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तुगलकाबाद में दोबारा रविदास मंदिर बनने की राह आसान नहीं
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तुगलकाबाद में दोबारा रविदास मंदिर बनने की राह आसान नहीं
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 नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| तुगलकाबाद वन क्षेत्र की संरक्षित भूमि में गुरु रविदास मंदिर के विध्वंस से संबंधित चल रहे प्रदर्शनों के बीच एक नया मोड़ आ गया है।

 सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर वन क्षेत्र में मंदिर निर्माण की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही गुरु रविदास मंदिर को ध्वस्त किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने नौ अगस्त को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को ढांचा गिराने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए डीडीए ने 10 अगस्त को मंदिर ध्वस्त कर दिया था।

इसके बाद गुरु रविदास के अनुयायियों ने इस कार्रवाई का विरोध करना शुरू कर दिया। शीर्ष अदालत ने यह चेतावनी दी है कि कोई भी मंदिर के विध्वंस का राजनीतिकरण या प्रदर्शन करता है तो उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जा सकती है।

शीर्ष अदालत के कड़े रुख के बाद गुरु रविदास मंदिर के अनुयायियों के लिए यह कानूनी लड़ाई कठिन हो गई है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि इस मुद्दे को कोई राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।

हालांकि, लोगों के विरोध के बाद वक्ष क्षेत्र में मंदिर निर्माण की संभावना हो सकती है लेकिन इसमें भी डीडीए का कड़ा रुख बाधा बनेगा जिसका साफ कहना है कि जमीन सरकार की है और इस पर कोई निर्माण नहीं होने देना चाहिए। ऐसे में गुरु रविदास जयंती समारोह समिति के लिए रास्ता दुश्वार है।

गुरु रविदास मंदिर से जुड़ा मुद्दा पहली बार ट्रायल कोर्ट में तब पहुंचा था जब डीडीए ने पांच नवंबर 1992 को आनधिकृत निर्माण के संबंध में विध्वंस कार्रवाई शुरू करने की बात कही थी।

ट्रायल कोर्ट द्वारा 31 जुलाई 2018 को मामले का फैसला करने के बाद गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और राहत की मांग की।

20 नवंबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी डीडीए द्वारा विध्वंस कार्रवाई के खिलाफ समिति की याचिका खारिज कर दी।

अंतत: नौ अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने समिति को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने अदालत के वन क्षेत्र को खाली करने के आदेश को नहीं मानकर गंभीर उल्लंघन किया गया है।

समिति ने तर्क दिया कि उक्त भूमि पर 1959 से ही कब्जा है, जो राजस्व रिकॉर्ड में भी है।

समिति ने कहा कि उन्होंने उक्त स्थान पर धर्मशाला के तौर पर चार कमरे बना रखे हैं। इसके अलावा यहां गुरु रविदास मंदिर, आश्रम और रूपानंद के साथ अन्य संतों की समाधि भी बनाई गई है।

समाज ने गुरु रविदास के नाम पर एक स्कूल भी बनाया है।

इस संबंध में डीडीए ने कहा कि समिति की भूमि मालिक के तौर पर राजस्व रिकॉर्ड में कोई एंट्री नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में कहा था कि समाज ने कोई भी दस्तावेज नहीं दिखाया है।

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