Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Uma Bharti की अपनी ही पार्टी से बढ़ रही दूरियां, क्या बीजेपी की बढ़ेगी मुश्किल?

Uma Bharti की अपनी ही पार्टी से बढ़ रही दूरियां, क्या बीजेपी की बढ़ेगी मुश्किल?

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को इन दिनों भाजपा में वह महत्व हासिल नहीं है जिसकी वे अपेक्षा करती हैं।

IANS
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मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और भारतीय जनता पार्टी के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। यही कारण है कि उनकी तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है। अब तो उन्होंने समाज के लोगों तक से यह कह दिया है कि वह अपने हितों का ध्यान रखकर चुनाव में मतदान करें।

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को इन दिनों भाजपा में वह महत्व हासिल नहीं है जिसकी वे अपेक्षा करती हैं। लिहाजा उनके और पार्टी के बीच दूरी भी बढ़ रही है। उमा भारती मध्य प्रदेश की सियासत में सक्रिय होना चाहती हैं मगर उनके विरोधी गुट से नाता रखने वाले भाजपा के नेता उनकी राह में रोड़े अटकाने में लगे हुए हैं। यही कारण है कि वे गाहे-बगाहे शराबबंदी को लेकर शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ाने में पीछे नहीं रहती।

भारतीय राजनीति में कल्याण सिंह के बाद उमा भारती लोधी समाज की बड़ी नेता हैं और उन्हें पार्टी में इस आधार पर अहमियत भी खूब मिली, मगर अब ऐसा नहीं है। यही कारण है कि उमा भारती ने लोधी समाज के सम्मेलन में साफ तौर पर कह दिया कि अब वे समाज के लोगों से यह नहीं कहेंगी कि भाजपा के पक्ष में मतदान करें। मतदान से पहले वे अपने हितों का जरूर ख्याल रखें।

उमा भारती का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनके करीबी रिश्तेदार प्रीतम सिंह लोधी को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया तो वहीं उनके भतीजे विधायक राहुल लोधी की विधायकी पर संकट आया हुआ है। यह बात अलग है कि राहुल लोधी को फिलहाल न्यायालय से स्थगन मिल गया है।

उमा भारती बीते लगभग एक साल से शराबबंदी को लेकर शिवराज सरकार को घेरती आ रही हैं। उन्होंने कई बार आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया तो वहीं कई शराब दुकानों पर पत्थर फेंके और गोबर तक फेंका। अब उन्होंने भाजपा के लिए लोधी समाज के लोगों से वोट देने की अपील तक न करने का ऐलान कर दिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उमा भारती की लोधी समाज में गहरी पकड़ है और वे यह जानती हैं कि वर्तमान दौर की राजनीति में जातिवाद हावी है, लिहाजा पार्टी के ऊपर दबाव बनाना है तो उन्हें इस रास्ते को चुनना ही होगा। यही कारण है कि उन्होंने पार्टी को संदेश दे दिया है कि अब वे अपने समाज से भाजपा के लिए वोट नहीं मांगेंगी।

--आईएएनएस

एसएनपी/एसकेपी

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