Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019अगले 4 महीनों में 5 लाख अफगान छोड़ सकते हैं देश: UNHCR

अगले 4 महीनों में 5 लाख अफगान छोड़ सकते हैं देश: UNHCR

UNHCR ने पड़ोसी देशों से अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखने को कहा

IANS
न्यूज
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संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने अनुमान लगाया है कि तालिबान के कब्जे के मद्देनजर अगले चार महीनों में करीब 5,00,000 अफगानों के युद्धग्रस्त देश छोड़ने की संभावना है।

टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को जारी एक बयान में यूएनएचसीआर ने कहा कि अगस्त के मध्य में तालिबान के हाथों पूर्व सरकार के पतन के बाद राजनीतिक अनिश्चितता लोगों को बड़े पैमाने पर प्रवास शुरू करने के लिए मजबूर करेगी।

उप उच्चायुक्त केली टी. क्लेमेंट्स ने कहा, हालांकि हमने इस समय बड़ी संख्या में अफगानों का पलायन नहीं देखा है, लेकिन अफगानिस्तान के अंदर की स्थिति किसी भी उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से विकसित हुई है।

यूएनएचसीआर ने पड़ोसी देशों से अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखने को कहा।

इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि वह जरूरतमंद अफगानों के लिए भोजन उपलब्ध कराने के लिए संगठन को 12 मिलियन डॉलर प्रदान करे।

कई निवासियों का कहना है कि राजनीतिक अनिश्चितता, बेरोजगारी और सुरक्षा के मुद्दों ने उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया है।

हबीबुल्लाह का परिवार उन हजारों परिवारों में से एक है जो काबुल हवाईअड्डे के बाहर इंतजार कर रहे हैं और देश छोड़ने की उम्मीद कर रहे हैं।

हबीबुल्ला ने टोलो न्यूज को बताया, मैंने विदेशियों के साथ चार साल तक काम किया, लेकिन अब मैं बेरोजगार हूं। मैंने अफवाहें सुनीं कि तालिबान विदेशियों के साथ काम करने वाले लोगों को खोज रहे हैं और उन्हें मार रहे हैं। मुझे देश छोड़ना होगा।

हबीबुल्लाह के बेटे एजातुल्लाह ने कहा, बेरोजगारी और सुरक्षा खतरों ने हमें अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ने के लिए मजबूर किया है।

कई अफगान महिलाओं का कहना है कि वे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पढ़ाई की है और खूब मेहनत की है लेकिन पता नहीं उनका क्या होने वाला है।

काबुल निवासी रहीला ने कहा, हमने चुनौतियों को स्वीकार किया और अफगानिस्तान में पढ़ाई की। अब हमें नहीं पता कि हमारा क्या होगा। मुझे देश में लड़कियों के भविष्य की चिंता है।

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