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नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) देश के 389 जिलों में पॉक्सो कानून के तहत 100 से ज्यादा मामले लंबित हैं और वहां जल्दी ही फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की स्थापना की जाएगी।
कानून मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार, इन सभी जिलों में एक-एक फास्ट ट्रैक अदालत का गठन किया जाएगा जो सिर्फ पॉक्सो कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई करेंगी।
‘पॉक्सो कानून के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों के गठन से जुड़ी योजना’ नामक मंत्रालय के दस्तावेज के अनुसार देश में 389 ऐसे जिले हैं जहां पॉक्सो के 100 से ज्यादा मामले लंबित हैं।
दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘इसलिए शीर्ष अदालत के आदेशानुसार, इन सभी जिलों में एक-एक विशेष पॉक्सो अदालत का गठन किया जाएगा जो किसी अन्य मुकदमे की सुनवाई नहीं करेंगी।’’
पॉक्सो के तहत लंबित मामलों के आधार पर संबंधित राज्य या केन्द्र शसित प्रदेश उच्च न्यायालयों से सलाह करके वहां एक से ज्यादा विशेष पॉक्सो अदालतों के गठन पर निर्णय ले सकते हैं। इन अदालतों का गठन पहले से तय फास्ट ट्रैक अदालतों की संख्या के तहत ही किया जाएगा।
केन्द्र सरकार ने देश भर में महिला एवं बाल विरोधी अपराधों के 1.66 लाख से ज्यादा लंबित मामलों की सुनवाई के लिए कुल 1,023 फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का फैसला किया है।
कानून मंत्रालय के न्याय विभाग के अनुसार, प्रत्येक विशेष अदलत को एक साल में कम से कम 165 ऐसे मामलों का निपटारा करना है।
दस्तावेज में कहा गया है कि कुल 1,023 फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन किया जाएगा जिसमें से 389 अदालतें सिर्फ और सिर्फ पॉक्सो से जुड़े मामलों की सुनवाई करेंगी।
बाकी अदालतों में जरुरत के मुताबिक पॉक्सो और बलत्कार से जुड़े मामलों की सुनवाई होगी।
कानून मंत्रालय के अनुसार, इन फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का काम दो अक्टूबर से शुरू होने की उम्मीद है।
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