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दरअसल, पार्टी ने एक खास रणनीति के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं दिनेश शर्मा सहित योगी सरकार के कई ऐसे बड़े मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में उतारने का फैसला किया है, जो वर्तमान में विधान परिषद के सदस्य हैं।
इसी रणनीति पर अमल करने के लिए दिल्ली पार्टी मुख्यालय में हुई बैठक में इस बात पर विस्तार से चर्चा हुई कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कहां से विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारा जाए। बैठक में मौजूद पार्टी नेताओं की यह राय थी कि मुख्यमंत्री को रामनगरी अयोध्या से चुनाव लड़वाया जाए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस संबंध में अंतिम फैसला केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में ही लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि उस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे।
दरअसल, पार्टी नेताओं का यह मानना है कि 2014 में नरेंद्र मोदी के वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने से जो माहौल पूरे उत्तर प्रदेश में बना था, उसी तरह का माहौल योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने से बन सकता है।
बता दें कि 2017 में मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ लगातार 5 बार गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और विधान परिषद के सदस्य बन गए।
--आईएएनएस
एसटीपी/एसजीके
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