Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Uttarakhand: देहरादून से 90 KM दूर एक गांव के दर्जनों घरों में दरारें, जमीन धंसी

Uttarakhand: देहरादून से 90 KM दूर एक गांव के दर्जनों घरों में दरारें, जमीन धंसी

Uttarakhand के मैदानी जिलों में भी रहना खतरे से खाली नहीं है

आईएएनएस
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>कालसी के एक गांव में  दिवार पर पड़ी&nbsp;दरारें और&nbsp;धंसी सड़क.</p></div>
i

कालसी के एक गांव में दिवार पर पड़ी दरारें और धंसी सड़क.

(फोटो: आईएएनएस) 

advertisement

उत्तराखंड में अब सिर्फ पहाड़ ही नहीं बल्कि मैदानी इलाकों में भी रहना सुरक्षित नहीं लग रहा है. पहाड़ी क्षेत्रों में जहां जोशीमठ, उत्तरकाशी, कर्णप्रयाग में हाल ही में घरों में आईं बड़ी- बड़ी दरारों और भू-धंसाव ने सबको चिंता में डाल दिया है. वहां तो हालात ऐसे हैं कि लोगों को अपना पुश्तैनी घर छोड़कर राहत शिविरों या होटलों में रहना पड़ रहा है.


इतना ही नहीं कई लोग तो अपने घरों में कई महीनों से नहीं गए हैं. ऐसा नहीं है कि भूस्खलन का सिलसिला केवल पहाड़ों तक ही सीमित है. बल्कि अब मैदानी जिलों में भी दरारों और भूस्खलन का खतरा धीरे-धीरे दिखाई दे रहा है.

कुल मिलाकर उत्तराखंड के मैदानी जिलों में भी रहना खतरे से खाली नहीं है. क्योंकि यहां पर भी लगातार जमीन दरक रही है और बड़ी-बड़ी दरारें देखने को मिल रही हैं.

चमोली जिले के जोशीमठ शहर के बाद देहरादून जिले के कालसी ब्लॉक के खमरोला गांव और उसके आसपास के इलाकों में दो दर्जन से अधिक घरों में दरारें पड़ने और जमीन धंसने का मामला सामने आया है, जिसने लोगों के होश उड़ा दिए हैं.

हैरान करने वाली बात तो ये है कि ये इलाका राज्य की राजधानी देहरादून से महज 90 किलोमीटर दूर है. ऐसे में अब शहरों पर भी भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है, जो चिंता का विषय है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि खमरोला गांव के कई घरों में पिछले दिनों दरारे आ गई थी. इस मानसून वह और अधिक चौड़ी हो गई हैं. इसके अलावा वहां पर जमीन के धंसने की घटनाएं भी देखी जा रही हैं और सड़कों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं.

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क बनाने के लिए की गई कटाई के काम के कारण खमरोला में दरारें आ गई हैं. इस गांव में लगभग 50 परिवार रहते हैं, जिनकी जिंदगी और उनके घरों पर खतरा मंडरा रहा है.

पीएमजीएसवाई के कार्यकारी अभियंता सुनील कुमार ने बताया कि सड़क को काटने का काम पीडब्ल्यूडी द्वारा किया गया था, ऐसे में जमीन के धंसने की समस्या गंभीर है और इसकी गहन भूवैज्ञानिक जांच होने की भी जरूरत है.

उन्होंने कहा कि भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करवाने और धंसाव के कारणों का पता लगाने के लिए बजट का अनुरोध किया जा रहा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT