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उत्तरकाशी (Uttarkashi Tunnel Rescue) की सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने में रैट होल माइनर्स (Rat hole Miners) ने अहम भूमिका निभाई है. रेस्क्यू ऑपरेशन में अपने योगदान के लिए उनकी हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. क्विंट हिंदी ने इन मजदूरों के परिवार वालों से बात की, जिन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि उनके बच्चों ने फंसे हुए मजदूरों को बचाया लेकिन साथ ही उन्होंने अपनी माली हालत के बारे में भी बात की और सरकार के सामने मांग भी रखी है.
पांच मजदूरों की ये टीम उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के अखत्यारपुर से हैं. मजदूरों की टीम में शामिल देविंदर और मोनू की मां मायवती ने भावुक हो कर कहा कि "अच्छा हुआ भगवान की वजह से 41 मजदूरों को बचा लिया गया है, मेरे दोनों बेटे गए थे. हम काफी गरीब परिवार से आते हैं, हमें भी मदद मिलनी चाहिए."
मनोज ने बताया कि कई सालों पहले वे खुद भी इसी काम में थे और वे जानते हैं कि ये काम कितना मुश्किल है. मनोज ने बताया कि "अगर कोई गलती होती है तो इस काम में मजदूर की जान भी जा सकती है."
मनोज ने अपनी माली हालत पर बात करते हुए सरकार से मांग की गई है,
17 दिनों के इस पूरे घटनाकम्र में एक दिन ऐसा भी आया जब ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन मलबे में फंस गई थी और खराब हो गई थी. इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन का काम रुक गया था. लेकिन फिर बिना मशीन के खुदाई के लिए रैट माइनर्स (मजदूरों) को बुलाया गया जिन्होंने हाथ से खुदाई की और मजदूरों को बाहर निकाला.
रेट माइनर्स बिना मशीन के इस्तेमाल किए खुदाई का काम करते हैं, ये ऐसी सुरंगों में काम करते हैं जो बहुत संकीर्ण होती है. ये हाथ से और कुछ निर्माण के उपकरणों की मदद से खुदाई करते हैं. इन्हें रेट माइनर्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये बिलकुल चूहे की तरह, बिल में घुस कर खुदाई कर देते हैं.
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