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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की युगल पीठ ने बुधवार को दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी की हत्या के मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी :एनआईए: से कराए जाने के खिलाफ राज्य शासन की रिट अपील को ख़ारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने एकल पीठ के 23 अक्टूबर के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि भीमा मंडावी केस की जांच एनआईए ही करेगी। न्यायालय ने बीते 13 नवम्बर को इस प्रकरण में बहस के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा के कार्यालय से जारी सूचना के अनुसार उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश पी. आर. रामचंद्र मेनन और न्यायमूर्ति पी. पी. साहू ने निर्णय दिया कि एनआईए एक्ट केंद्र शासन द्वारा बनाया गया है और उसमें दिए गए प्रावधान से स्पष्ट है कि प्रकरण की जांच सिर्फ एनआईए ही कर सकती है। न्यायालय के निर्णय में यह भी कहा गया है कि उपरोक्त कानूनी बाध्यता को मानना अनिवार्य है, इसलिए राज्य शासन भीमा मंडावी हत्या मामले की जांच और आवश्यक दस्तावेज एनआईए को सौप दें। राज्य शासन की ओर से प्रकरण की पैरवी कर रहे महाधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा ने कहा कि यद्यपि यह कानूनी प्रावधान है, लेकिन राज्य शासन ने एनआईए एक्ट को ही चुनौती दी है, इसलिए मामले की अपील उच्चतम न्यायालय में की जाएगी। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में श्यामगिरी के करीब नौ अप्रैल को भाजपा विधायक भीमा मंडावी और चार अन्य पुलिसकर्मियों की नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर हत्या कर दी थी। इस मामले में केंद्र सरकार ने एनआईए को जांच का जिम्मा सौंपा था, जबकि छत्तीसगढ़ की पुलिस भी इस हत्याकांड की जांच कर रही थी। एनआईए ने राज्य सरकार के खिलाफ मंडावी हत्याकांड से संबंधित जानकारी और आवश्यक रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराए जाने पर उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति आरसीएस सामंत की एकल पीठ ने 23 अक्टूबर को मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य शासन को भीमा मंडावी की नक्सली हमले में हुई मौत की जांच एनआईए से कराने के निर्देश दिए थे। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार 15 दिनों के भीतर पुलिस की जांच रिपोर्ट और आवश्यक दस्तावेज एनआईए के सुपुर्द कर दे। उच्च न्यायालय के एकल पीठ के फैसले पर राज्य शासन ने मुख्य न्यायाधीश की युगल पीठ के समक्ष रिट अपील दायर की थी जिस पर बुधवार को आदेश जारी किया गया।भाषा सं. संजीव नीरजनीरज2011 1716 रायपुरनननन.
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