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विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा ने कई सांसदों के साथ कोलंबो के बीचों-बीच इंडिपेंडेंस स्क्वायर तक मार्च किया और गोटा, गो होम जैसे नारे लगाए। हालांकि, पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने चौक के प्रवेशद्वार को चारों तरफ से बंद कर दिया था और उन्हें प्रवेश करने से मना कर दिया था।
प्रेमदासा ने पुलिस और सेना से कहा, कर्फ्यू अवैध है। कर्फ्यू लगाने के लिए कोई आपातकालीन स्थिति नहीं है। लोगों के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं, लेकिन एक परिवार के प्रति नहीं।
इस बीच, कैंडी में विश्वविद्यालय के एक छात्र सहित कई शहरों में विरोध प्रदर्शनों को पुलिस ने आंसूगैस के गोले और पानी की बौछारों से तितर-बितर कर दिया।
हालांकि, कोलंबो उपनगरों में, विपक्षी मार्क्सवादी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना ने कर्फ्यू और आपातकालीन कानून को धता बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया। सरकार के खिलाफ हाथों में तख्तियां लिए जनता का मौन विरोध उनके घरों के सामने और देश भर में सड़कों पर जारी रहा।
राष्ट्रपति राजपक्षे ने एक महीने से चल रहे बिना ईंधन, बिजली, एलपी गैस, दवा और कुछ बुनियादी खाद्य पदार्थो के संकट के खिलाफ रविवार को सड़कों पर उतरने वाले लोगों को रोकने के लिए शनिवार शाम से आपातकाल और 36 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया। जनता, मुख्य रूप से युवाओं द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से एक द्वीप-व्यापी विरोध का आयोजन किया गया।
कर्फ्यू की अवहेलना करने वाले विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए रक्षा मंत्रालय ने रविवार सुबह से सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ब्लॉक कर दिया।
हालांकि, श्रीलंका मानवाधिकार आयोग, वकीलों और श्रीलंका के लोक उपयोगिता आयोग ने इस कदम का विरोध किया था और सोशल मीडिया प्रतिबंध को वापस लेने का आग्रह किया था।
एसएलएचआरसी के अध्यक्ष ने कहा है कि किसी भी परिस्थिति में सोशल मीडिया को पूरी तरह से बंद करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि यह लोगों को उत्तेजित नहीं कर रहा है। लोग अपना वैध अधिकार व्यक्त कर रहे हैं।
श्रीलंका के बार एसोसिएशन (बीएएसएल) ने श्रीलंका के दूरसंचार नियामक आयोग (टीआरसीएसएल) से रक्षा मंत्रालय की सलाह पर कथित तौर पर सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को वापस लेने का आह्वान किया है।
--आईएएनएस
एसजीके
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