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असम के 20 जिलों के 202 गांवों में हुए सर्वे में शामिल 84% लोग कोरोना वैक्सीन लेना चाहते हैं. वहीं 76% का मानना है कि वैक्सीन उन्हें वायरस से सुरक्षा देगी. ये नतीजे ब्रह्मपुत्र कम्युनिटी रेडियो (BCRS) और टापुओं पर स्थित गांवों में C-NES द्वारा संचालित होने वाले बोट क्लिनिक ने क्विंट के लिए किया. सर्वे का उद्देश्य ये समझना था कि ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन को लेकर कितनी जागरुकता और कितनी झिझक है.
सर्वे में सामने आया कि आबादी का बड़ा हिस्सा वैक्सीन लेना चाहता है. वहीं कुछ प्रतिशत ने अब भी वैक्सीन से मौत होने या वैक्सीन से कोरोना संक्रमण होने जैसी अफवाहें सुन रखी हैं. जून-जुलाई के बीच हुए इस सर्वे में 440 लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से 44.09 प्रतिशत महिलाएं और 55.90 प्रतिशत पुरुष थे.
डिब्रूगढ़, धीमाजी, टिनसुकिया, जोरघट के जिलों में हुए सर्वे के नतीजों में सामने आया कि 81.3% लोग वैक्सीन को जरूरी मानते हैं. वहीं 84.9% ने कहा कि वे वैक्सीन लगवाना चाहते हैं.
सर्वे में शामिल लगभग आधी जनसंख्या को कोरोना के लक्षणों की जानकारी थी और वह मानते हैं कि घरेलू नुस्खों की बजाए डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए.
सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि कोरोना के लक्षण दिखने पर वह टेस्ट कराएंगे, डॉक्टर के पास जाएंगे, या घरेलू नुस्खे अपनाएंगे? कितने प्रतिशत लोगों ने क्या जवाब दिया इस चार्ट में देखिए.
रेडियो ब्रह्मपुत्र के जिस सर्वे में 250 लोग शामिल हुए, उसमें सामने आया कि जो लोग वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते, उनमें से 26.95% का मानना है कि वैक्सीन शरीर को कमजोर करती है, 26.08% को लगता है कि वैक्सीन से मौत हो सकती है और 8.69 को लगता है कि वैक्सीन से कोरोना संक्रमण हो सकता है.
जब लोगों से ये पूछा गया कि क्या उन्हें वैक्सीन लगवाने में डर लगता है? केवल 31% ने जवाब में हां कहा. बाकी 69% ने कहा कि उन्हें वैक्सीन से डर नहीं लगता.
इस सर्व के नतीजे हमारे पिछले सर्वे से बेहतर हैं, जो हमने वीडियो वॉलेंटियर्स के साथ बिहार, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में किया था. इस सर्वे में शामिल 42% लोगों ने कहा था कि वे वैक्सीन नहीं लगवाएंगे.
ये सर्वे 28 अप्रैल से 12 मई के बीच किया गया था, जब रोजाना आने वाले कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे थे और भारत दूसरी लहर का सामना कर रहा था.
84% लोग वैक्सीन जरूर लेना चाहते हैं, लेकिन सर्वे में शामिल लगभग सभी लोगों ने वैक्सीन से जुड़ी अफवाहें और कॉन्सपिरेसी थ्योरीज जरूर सुनी हैं, हालांकि इन अफवाहों का लोगों के वैक्सीन लेने के फैसले पर कोई सीधा असर देखने को नही मिला.
30.09% का मानना है कि कोरोना वैक्सीन लेने से दूसरी बीमारियां हो सकती हैं, 39.84% का मानना है कि वैक्सीन लेने से मौत हो सकती है. वहीं 10% को लगता है कि वैक्सीन से कोरोना संक्रमण हो जाएगा.
सर्वे में सामने आया कि असम के ग्रामीण इलाकों में लोग रेडिया और अखबार की सूचनाओं पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं. 77.5% रेडियो के माध्यम से मिली जानकारी पर भरोसा करते हैं. वहीं 74.75 अखबार से मिली जानकारी पर भरोसा करते हैं.
खासतौर पर कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी की बात करें, तो अधिकतर लोगों के लिए जानकारी का प्रमुख माध्यम आशा कार्यकर्ता हैं.
सर्वे का सुझाव है कि लोग वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, लेकिन वैक्सीन और कोरोना से जुड़ी अफवाहों को लेकर लोगों को जागरुक करने की भी जरूरत है.
(क्विंट, सेंटर फॉर नॉर्थ ईस्ट स्टडीज (C-NES) के साथ मिलकर असम के ग्रामीण इलाकों में फैल रही कोरोना वैक्सीन से जुड़ी भ्रामक सूचनाओं की पड़ताल कर रहा है. हमारे इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को जागरुक करना है. ये स्टोरी इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है)
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