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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें भीड़ में शराब बंटती दिख रही है. दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो किसान आंदोलन (Farmers Protest) में बंटी शराब का है. वीडियो शेयर कर ये साबित करने की कोशिश हो रही है कि किसान आंदोलन में भीड़ किसानों की मांगें नहीं, बल्कि वहां बंट रही ''शराब'' की वजह से जुट रही है.
हालांकि, हमारी पड़ताल में सामने आया कि ये दावा झूठा है. वायरल वीडियो असल में पंजाब के लुधियाना के कोंके कलां गांव का है. गांव की परंपरा है कि वहां हर साल बाबा रोदू शाह दरगाह पर लगने वाले मेले में शराब बांटी जाती है. इस मेले का वीडियो किसान आंदोलन का बताकर शेयर किया जा रहा है.
वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि किसान आंदोलन की सच्चाई का पर्दाफाश हो चुका है.
हमें स्वतंत्र पत्रकार संदीप सिंह का एक ट्वीट मिला, जिसमें उन्होंने बताया है कि ये वीडियो लुधियाना के कोंके कलां गांव का है.
क्विंट की वेबकूफ टीम से बातचीत में पत्रकार संदीप सिंह ने कहा कि वीडियो कोंके कलां गांव में स्थित रोदू शाह दरगाह का है.
पंजाबी भाषा के कुछ कीवर्ड गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें फेसबुक पेज 'Daily News Punjab' पर 7 सितंबर को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला, जिसमें इसी समारोह के कुछ विजुअल हैं.
'डेली न्यूज पंजाब' के मैनेजिंग डायरेक्टर रनजीत सिंह राणा ने वायरल वीडियो को देखकर बताया कि ये वीडियो भी कोंके कलां गांव का ही है. इसे किसान आंदोलन का बताकर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है. रनजीत सिंह ने ये भी बताया कि हर साल होने वाले इस समारोह में शराब बांटी जाती है.
हमें 6 सितंबर का एक फेसबुक लाइव भी मिला, जिसका कैप्शन है ''बाबा रोदू जी मेला''. हालांकि, कैप्शन में इस वीडियो की लोकेशन नहीं बताई गई है. इसी फेसबुक लाइव के विजुअल्स को हमने डेली न्यूज पंजाब के विजुअल्स से मिलाकर देखा, जिससे पुष्टि हो सके कि विजुअल असल में कोंके कलां गांव के हैं या नहीं.
कोंके कलां पुलिस चौंकी में तैनात एसएचओ ने भी इस बात की पुष्टि की कि वीडियो किसान आंदोलन का नहीं, गांव में लगने वाले मेले का है.
स्थानीय पत्रकार जसवीर ब्रार ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो को लेकर किए जा रहे दावे को भ्रामक बताया.
मतलब साफ है लुधियाना के गांव में मेले के दौरान बंटी शराब का वीडियो सोशल मीडिया पर इस गलत दावे से शेयर किया जा रहा है कि किसान आंदोलन में शराब बांटी गई.
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