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फेसबुक पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि कश्मीर में पत्थरबाजों की घटनाएं तो सभी को दिख रही हैं, लेकिन किसी का ध्यान उन कश्मीरियों पर नहीं है जो भूख से मर रहे हैं. तीन तस्वीरों के साथ वायरल हो रहे इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा है: "हाथ में पत्थर सबको दिखता था, अफसोस ,भूख से मर रहे कश्मीरी किसी को नजर नहीं आ रहे. #SaveKashmir"
इनमें से एक फोटो दो लोगों के अंतिम संस्कार की है, जिनकी मौत का कारण भुखमरी बताया जा रहा है. वहीं दो तस्वीरों में रोती-बिलखती महिलाओं और बच्चों को देखा जा सकता है. वायरल हो रही इन तस्वीरों का संदर्भ जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति, केंद्र सरकार के आर्टिकल 370 हटाने के बाद विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने, कर्फ्यू और कश्मीरी लोगों पर लगे प्रतिबंधों से है. स्टोरी लिखे जाने तक, इस पोस्ट को 2 हजार से ज्यादा लोग शेयर कर चुके थे.
द क्विंट को पता चला है कि ये तस्वीर कश्मीर से ही हैं, लेकिन ये हाल की नहीं हैं. ये तस्वीरें तीन अलग-अलग घटनाओं की हैं, जिसमें कश्मीरी लोगों की मौत हो गई थी. यहां ये भी ध्यान रखने वाली बात है कि इन लोगों की मौत भूख से नहीं हुई है.
रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें पता चला कि ये तस्वीर अगस्त 2016 की है. मध्य कश्मीर के बीरवाह इलाके में सुरक्षाबलों की फायरिंग में पांच नागरिकों की मौत हो गई थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में फैली अशांति के दौरान हुई. रिपोर्ट में, मृतक की पहचान हजारपोरा के मोहम्मद अशरफ वानी, जावेद अहमद नाजर, मंजूर अहमद लोन और जावेद अहमद शेख के रूप में हुई.
एक रिपोर्ट में, इस फोटो का क्रेडिट कश्मीरी फोटोजर्नलिस्ट बिलाल बहादुर को दिया गया. उसमें अंतिम संस्कार की कुछ और तस्वीरें भी थीं.
क्विंट ने इस फोटो को भी रिवर्स इमेज सर्च कर ढूंढा, ये तस्वीर मई 2018 की है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कश्मीर के शोपियां जिले में रहने वाले उमर की सुरक्षा बलों की फायरिंग में गोली लगने से मौत हो गई थी. इलाके में उग्रवादियों के एक ग्रुप को पकड़ने के लिए सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन लॉन्च किया था, इसी फायरिंग में शख्स की मौत हो गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, रॉयटर्स को क्रेडिट की गई इस फोटो में एक रोती-बिलखती लड़की दिख रही है, जो अपने भाई की स्कूल यूनिफॉर्म को पकड़ कर बैठी है, जिसे वो घर लाए जाने के बाद उसके शरीर पर रख देती है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट में उस लड़की की एक और फोटो थी, जिसमें वो अपने भाई की शर्ट पकड़े हुए बैठी है.
रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें मालूम चला कि ये तस्वीर नवंबर 2018 की है. न्यूज एजेंसी AFP की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये फोटो शोपियां में हुए एनकाउंटर के बाद हुए एक अंतिम संस्कार की है. इस हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी.
एक डिजिटल पोर्टल के नवंबर 2018 के एक वीडियो में, दूसरे एंगल से ऐसी ही एक फोटो है, जिसमें महिला और बच्चे को देखा जा सकता है.
वायरल हो रहे इस फेसबुक पोस्ट में शेयर की जा रहीं सभी तस्वीरें 2016 से 2018 के बीच की हैं. इन तस्वीरों में दिख रहे लोगों की मौत का कारण भुखमरी नहीं है.
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