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CDC ने नहीं कहा कि PCR टेस्ट फ्लू और कोविड-19 के बीच अंतर नहीं कर सकता

CDC ने कहा कि PCR टेस्ट "विशेष रूप से SARS-CoV-2 वायरल जेनेटिक मैटेरियल का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किए गए थे''.

अभिलाष मलिक
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>CDC ने पीसीआर टेस्ट हटाने के लिए इसलिए कहा क्योंकि वो गलत है, नए टेस्ट को अपनाया जा सके</p></div>
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CDC ने पीसीआर टेस्ट हटाने के लिए इसलिए कहा क्योंकि वो गलत है, नए टेस्ट को अपनाया जा सके

(फोटो: Altered by The Quint)

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The Gateway Pundit नाम की अमेरिकी कंजर्वेटिव वेबसाइट पर पब्लिश एक आर्टिकल के हवाले से सोशल मीडिया पर कई पोस्ट वायरल हो रही हैं. इनमें दावा किया जा रहा है यूएस सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने PCR टेस्ट को वापस ले लिया है, क्योंकि इससे इन्फ्लूएंजा और नोवल कोरोनावायरस के बीच में अंतर नहीं बता पाया.

दावे में आगे कहा गया है कि यही कारण था कि ''अमेरिका में 2020 में फ्लू के मामले नहीं आ रहे'' थे.

हालांकि, हमने पाया कि ये दावा झूठा है. जुलाई 2021 में CDC ने कहा था कि वो 31 दिसंबर के बाद PCR टेस्ट के लिए इमरेजेंसी यूज ऑथराइजेशन के अनुरोध को वापस लेगा, लेकिन इसका फ्लू से कोई लेना-देना नहीं था. CDC की ओर से पोस्ट किए गए स्पष्टीकरण के मुताबिक, टेस्ट को वापसी करने की वजह ये थी कि FDA ने कोविड को लेकर अब कई दूसरे टेस्ट की अनुमति दी है. ऐसा इसलिए, क्योंकि CDC के टेस्ट से कोविड से जुड़ी सभी जरूरी परिणाम नहीं आ रहे थे.

इसके अलावा, एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि कोविड से जुड़े PCR टेस्ट में ऐसा नहीं हो सकता कि इस टेस्ट में फ्लू और कोविड में अंतर न किया जा सके.

दावा

The Gateway Pundit के आर्टिकल की हेडलाइन में लिखा है, "HUGE. CDC Withdraws Use of PCR Test for COVID and Finally Admits the Test Can Not Differentiate Between the Flu and COVID Virus"

(अनुवाद- बहुत बड़ा. CDC ने कोविड के लिए PCR टेस्ट के इस्तेमाल को वापस ले लिया है और आखिरकार ये स्वीकार किया है कि टेस्ट से फ्लू और कोविड वायरस के बीच अंतर नहीं पता लगा सकता.)

दावे को शेयर करने वाले सोशल मीडिया यूजर्स ने आर्टिकल से टेक्स्ट कॉपी किया है.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

ये दावा फेसबुक और ट्विटर दोनों जगह शेयर किया गया है. इनमें से कुछ के आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

ये दावा WhatsApp पर भी शेयर किया गया है.

पड़ताल में हमने क्या पाया

वेबसाइट के आर्टिकल में 21 जुलाई 2021 को CDC की ओर से पब्लिश ''प्रयोगशाला अलर्ट" के बारे में बताया गया है.

अलर्ट के मुताबिक, 31 दिसंबर 2021 के बाद, CDC, सीडीसी 2019-नोवल कोरोनावायरस (2019-nCoV) रीयल टाइम RT-PCR डायग्नोस्टिक पैनल के इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन (EUA) के लिए, यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से अनुरोध वापस ले लेगा. जांच को पहली बार फरवरी 2020 में SARS-CoV-2 की जांच के लिए पेश किया गया था. CDC ये अग्रिम नोटिस क्लीनिकल लैब्स को इसलिए दे रहा है, ताकि उनके पास FDA की ओर से ऑथराइज्ड विकल्पों में से किसी एक को चुनने और उसे लागू करने के लिए पर्याप्त समय हो.

अलर्ट में आगे कहा गया है कि "CDC लैब्स को ऐसे मल्टीप्लेक्स्ड मेथड को अपनाने पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो SARS-CoV-2 और इन्फ्लूएंजा वायरस का पता लगाने और और उनमें अंतर करने में सक्षम हो. चूंकि हम इन्फ्लूएंजा के मौसम में हैं, इसलिए इस तरह के परीक्षण इन्फ्लूएंजा और SARS-CoV-2 दोनों के लिए लगातार परीक्षण की सुविधा प्रदान कर सकते हैं और समय और संसाधनों दोनों की बचत कर सकते हैं."

अलर्ट में ऐसा नहीं कहा गया कि PCR टेस्ट फ्लू और कोविड-19 में अंतर नहीं कर पाता.

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CDC ने EUA का अनुरोध वापस क्यों लिया?

यूएस फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ये स्टैंडर्ड प्रैक्टिस है कि वो उन टेस्ट, दवाओं और डिवाइसों के लिए अस्थायी EUA जारी करता है, जो इमरजेंसी के मामलों में पूरी तरह से अप्रूवल की प्रक्रिया से नहीं गुजरे हैं, जैसे कि कोविड-19 महामारी.

फरवरी 2020 में, FDA ने CDC के 2019-nCoV RT-PCR टेस्ट के लिए EUA को मंजूरी दी थी. उस दौरान नोवल कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए कोई दूसरा टेस्ट मौजूद नहीं था.

हालांकि, तब से FDA ने कई दूसरे SARS-CoV-2 डायग्नोस्टिक टेस्ट को अनुमति दी है. इनमें से कुछ टेस्ट के सटीक होने चांस बहुत ज्यादा थे और वो एक समय में एक से ज्यादा बीमारियों का परीक्षण करने की क्षमता रखते हैं. CDC की ओर से विकसित किए गए टेस्ट को रिटायर करने या उसे हटाने के पीछे की यही वजह थी.

CDC ने 2 अस्त 2021 को पहले पब्लिश हो चुके ''लैब अलर्ट" पर एक क्लैरिफिकेशन जारी किया था, जहां उसने स्पष्ट किया कि EUA हटाने की प्रक्रिया सिर्फ CDC के 2019-nCoV RT-PCR टेस्ट के लिए थी, न कि FDA की ओर से अप्रूव किए गए दूसरे टेस्ट के लिए.

इसने ये भी स्पष्ट किया कि टेस्ट के परफॉर्मेंस को लेकर कोई समस्या नहीं थी और ये पूरे रिव्यू में असफल नहीं हुआ.

क्लैरिफिकेशन के मुताबिक, CDC का 2019-nCoV रियल टाइम आरटी-पीसीआर डायग्नोस्टिक पैनल SARS-CoV-2 और इनफ्लुएंजा के बीच भ्रमित नहीं करता. ये एक बेहद सटीक टेस्ट है जो रोगी के नमूने में SARS-CoV-2 वायरल जेनेटिक मैटेरियल के होने या न होने का पता लगाता है.

CDC ने ये भी कहा कि पहले पीसीआर टेस्ट के लिए जांच और जानकारी उनकी वेबसाइट पर, लैब और टेस्टर डेवलपर के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होंगे.

इसमें आगे ये भी बताया गया है कि सीडीसी इनफ्लुएंजा SARS-CoV-2 (Flu SC2) की मल्टीप्लेक्स जांच अब भी उपलब्ध रहेगी, जिसे जुलाई 2020 में FDA ने EUA दिया था. ये टेस्ट एक साथ कोविड 19 और फ्लू की उपस्थिति की जांच करने में सक्षम है. इस तरह समय और संसाधनों की बचत होती है, जो अलग-अलग टेस्ट करने में जरूरी होते हैं.

अंत में, क्लैरिफिकेशन में बताया गया है कि कोविड 19 पीसीआर टेस्ट फ्लू का पता नहीं लगा सकते क्योंकि ऐसे टेस्ट में इस्तेमाल की जाने वाला जेनेटिक मैटेरियल अलग होता है.

क्लैरिफिकेशन के मुताबिक, "सीडीसी 2019 नोवेल कोरोनावायरस (2019-nCoV) रीयल-टाइम आरटी-पीसीआर डायग्नोस्टिक पैनल विशेष रूप से सिर्फ SARS-CoV-2 वायरल जेनेटिक मैटेरियल का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया था

क्या 2020 में अमेरिका में फ्लू "खत्म" हो गया?

इस दावे में आगे ये भी कहा गया है कि इनफ्लुएंजा वायरस की वजह से होने वाला फ्लू, 2020 में अमेरिका से गायब हो गया था. जो उस कॉन्सपिरेसी थ्योरी के हिसाब से है कि कोविड 19 बिल्कुल फ्लू की तरह है.

हालांकि, सीडीसी ने 2020-21 में फ्लू के मामलों में गिरावट दर्ज की है. लेकिन, संगठन ने कहा कि कोविड 19 से बचने के उपाय जैसे मास्क पहनना, घर पर रहना, हाथ धोना, स्कूल बंद करना, कम यात्रा करना, बंद जगहों में बढ़ा हुआ वेंटिलेशन, शारीरिक दूरी जैसे उपायों की वजह से संभवत: इसके गिरावट में योगदान मिला है.

इसके अलावा, जहां COVID-19 और फ्लू के लक्षणों में कुछ समानताएं हैं, वहीं कुछ बड़े अंतर भी हैं. उदाहरण के लिए, COVID-19 फ्लू की तुलना में ज्यादा संक्रामक है और इसकी वजह से कुछ लोगों को गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा, जिस कारण अस्पताल में लोग भर्ती हुए और मौतें हुईं.

हार्वर्ड में इम्यूनोलॉजी और संक्रामक रोग विभाग के शोधकर्ताओं ने पाया कि फ्लू के मामलों में कमी इसलिए आई क्योंकि COVID-19 ज्यादा संक्रामक था.

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