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समलैंगिक महिलाओं को भी हो सकता है HPV इनफेक्शन और सर्वाइकल कैंसर

सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी गलत सूचना और जागरूकता की कमी की वजह से कई लोग HPV वैक्सीन नहीं लगवाते

अभिलाष मलिक
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>सर्वाइकल कैंसर समलैंगिक संबंध बनाने वाली महिलाओं को भी हो सकता है</p></div>
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सर्वाइकल कैंसर समलैंगिक संबंध बनाने वाली महिलाओं को भी हो सकता है

(फोटो: Altered by the Quint)

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सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) का मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) का इनफेक्शन होता है. ये कैंसर भारत में महिलाओं को होने वाला सबसे आम कैंसर हैं. इस कैंसर की वजह से विकासशील देशों में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं. इंडियन काउंसिल फॉर साइंटिफिक रिसर्च की एक स्टडी के मुताबिक, इस कैंसर से साल 2015 में भारत में 63,000 महिलाओं की जान गई थी. जिसका मतलब है हर दिन लगभग 170 महिलाओं की मौत हुई है.

बावजूद इसके कि सर्वाइकल कैंसर खतरनाक होता है, इससे जुड़ी गलत सूचना और जागरूकता की कमी की वजह से कई लोग HPV वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं. समलैंगिक महिलाएं विशेष रूप से इस गलत सूचना का शिकार हो रही हैं.

यूके में LGBT फाउंडेशन ने 2018 में एक सर्वे कराया था. इसमें पाया गया कि LGB महिलाओं को लगता था कि उनके सेक्शुअल ओरिएंटेशन की वजह से उन्हें जांच कराने की जरूरत नहीं है. ऐसी आम गलत धारणा के पीछे की वजह ये है कि समलैंगिक संबंध बनाने वाली महिलाओं में पेनिट्रेशन नहीं होता है, इसलिए उन्हें HPV या किसी दूसरे तरह के सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) होने की संभावना कम हो जाती है.

हालांकि, हमने इस बारे में जिन हेल्थ एक्सपर्ट्स से बात की और इस विषय पर जो रिसर्च मिलीं, उस आधार पर ये सिर्फ एक मिथक है.

सच ये है कि जिन समलैंगिक महिलाओं और ट्रांसजेडर्स में गर्भाशय है, उन्हें HPV के साथ-साथ दूसरी समस्याएं हो सकती हैं.

HPV क्या है? ये कैसे फैलता है?

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, HPV प्रजनन प्रणाली में होने वाला आम वायरल इनफेक्शन है. ज्यादातर सेक्शुअली एक्टिव महिलाएं और पुरुष कभी न कभी इससे संक्रमित होते हैं. और कुछ को ये इनफेक्शन बार-बार हो सकता है.

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, इससे इनफेक्टेड किसी भी शख्स के साथ वजाइनल या एनल और ओरल सेक्स संबंध बनाने पर HPV हो सकता है. वैसे आमतौर पर, ये वजाइनल या एनल सेक्स के दौरान फैलता है.

HPV से सर्वाइकल कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा होता है. है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (ACS) के अनुसार, HPV के लगभग 100 टाइप हैं. इनमें से दो टाइप के HPV, HPV-16 और HPV-18 की वजह से सर्वाइकल कैंसर होता है.

हालांकि, HPV से दूसरे प्रकार के कैंसर भी हो सकते हैं, जैसे एनल कैंस, वजाइनल कैंसर, गले का कैंसर और पीनाइल कैंसर.

WHO के मुताबिक, सामान्य इम्यून सिस्टम वाली महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर विकसित होने में 15 से 20 साल लगते हैं. वहीं कमजोर इम्यून सिस्टम वाली महिलाओं में सिर्फ 5 से 10 साल लग सकते हैं, जैसे कि वो महिलाएं जिन्हें HIV का इनफेक्शन है.

समलैंगिक महिलाओं में कैसे होता है HPV इनफेक्शन?

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के रिसर्चर्स ने साल 2015 में हुए एक रिसर्च में पाया कि लेस्बियन (समलैंगिक) को सर्वाइकल कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा था. ऐसा इसलिए, क्योंकि वो हेट्रोसेक्शुअल (विषमलिंगी) महिलाओं की तुलना में कम जांच करवाती हैं. क्योंकि, कुछ हेल्थकेयर प्रोवाइडर का मानना था कि उन्हें STI होने की कम संभावना है.

हमने गायनोकॉलजिस्ट और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. ईशा चेनानी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि HPV, किसी भी अन्य STI की तरह किसी लिंग पर निर्भर नहीं करता है. ये समलैंगिकों में फैल सकता है.
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डॉ. चैनानी ने कहा, ''आपकी सेक्शुअलिटी का STI से कोई लेना-देना नहीं है. ये समलैंगिक संबंध बनाने में भी एक से दूसरे में फैल सकता है. ये भी सच नहीं है कि अगर आप पेनेट्रेटिव सेक्स नहीं करते तो आपको STI नहीं हो सकता. ये ओरल या दूसरे तरीके के सेक्स से भी हो सकता है.''

फोर्टिस हॉस्पिटल्स में सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. हर्षित शाह ने बताया कि कैसे समलिंगी कपल इससे प्रभावित हो सकते हैं.

ऑरोफरीन्जियल कैंसर यानी गले में होने वाले कैंसर से ये समझा जा सकता है कि ये समलैंगिक संबंध बनाने वाली महिलाओं में कैसे फैल सकता है. ओरल सेक्स में ऑरोफरीन्जियल प्रणाली के माध्यम से HPV फैलता है. वायरस गले के उस पिछले हिस्से में प्रभाव डालता है, जहां टॉन्सिल होते हैं. इस टॉन्सिल एब्जॉर्ब कर लेते हैं जिससे गले के कैंसर का कारण बन सकता है.
डॉ. हर्षित शाह

उन्होंने कहा, ''यहां ये ध्यान देना जरूरी है कि HPV से सिर्फ सर्वाइकल कैंसर नहीं होता है. इससे पुरुष भी प्रभावित होते हैं और एनल और पीनाइल कैंसर भी हो सकता है. इसी तरह, उन ट्रांसजेंडर पुरुषों को भी वायरस की वजह से सर्वाइकल कैंसर हो सकता है, जिन्होंने अपना गर्भाशय नहीं निकलवाया है.''

कैसे बचा जा सकता है HPV से ? 

कई बार, HPV से संक्रमित शख्स में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते. इसलिए, ACS ने खास गाइडलाइन निर्धारित की हैं कि लोगों को HPV के लिए कब और कितनी बार टेस्ट करवाना चाहिए. ACS के मुताबिक, हर पांच साल में सर्वाइकल कैंसर और HPV टेस्ट करवाना चाहिए.

डॉ. शाह ये सलाह भी देते हैं कि 30 साल की उम्र से हर 5 साल में लोगों को HPV या सर्वाइकल कैंसर की जांच करवानी चाहिए.

शाह ने कहा, "इससे हमें HPV इनफेक्शन का पता लगाने और भविष्य में सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए रोगी को निगरानी में रखने में मदद मिलती है."

HPV टेस्ट जननांग प्रणाली, एनल क्षेत्र और गले में मौजूद कोशिकाओं और टिश्यू पर PCR टेस्ट या हिस्टोपैथोलॉजी से किया जाता है. हम पैथोलॉजी की ओर से HPV-16 और HPV-18 की जांच भी करते हैं.
डॉ. हर्षित शाह

डॉ चैनानी ने कहा, ''यौन संबंध बनाते समय प्रोटेक्शन का इस्तेमाल कर STI रोका जा सकता है. डेंटल डैम के अलावा, महिलाओं के लिए कंडोम भी आते हैं, जो समलिंगी संबंध बनाने वाली महिलाओं में STI के खतरे को कम करते हैं.''

हालांकि, HPV इनफेक्शन को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है वैक्सीनेशन. पहले, 9 से 26 साल की उम्र के लोग ही सिर्फ HPV वैक्सीन लगवा सकते हैं. लेकिन, अब 27 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोग भी ये वैक्सीन ले सकते हैं.

कई वैक्सीन से HPV-16 और 18 से सुरक्षा मिलती है. और ये वैक्सीन महिला और पुरुष दोनों लगवा सकते हैं. अगर वैक्सीन वायरस के संपर्क में आने से पहले लगवाए जाएं तो ये ज्यादा प्रभावी होते हैं.

हालांकि, वैक्सीन लेने के बाद कुछ साइडइफेक्ट भी हो सकते हैं, जैसे पेट में दर्द, मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द, मितली आना, लालिमा, सूजन और दर्द. इसलिए, वैक्सीन लेने से पहले डॉ. से संपर्क जरूर कर लें.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )

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