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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक शख्स अपने शरीर के उस हिस्से के संपर्क में लाकर बल्ब जलाते दिख रहा है, जहां पर उसे कोविड वैक्सीन लगी थी. शख्स का कहना है कि बल्ब उनके शरीर के किसी भी हिस्से के संपर्क में लाने से नहीं जलता है, लेकिन जिस जगह पर वैक्सीन लगी है उस जगह लाते ही जल जाता है.
हालांकि, हमने पाया कि ये दावा झूठा है कि शरीर के जिस हिस्से के पास कोविड वैक्सीन लगाई जाती है वहां लाने पर बल्ब जल जाता है.
वीडियो में दिख रहे शख्स ने बाद में एक और वीडियो जारी कर ये स्पष्ट किया कि बल्ब जलता दिखाने वाला वीडियो सिर्फ एक प्रैंक था, जिसे उसने अपने दोस्तों के साथ शेयर किया था. हालांकि, वो बाद में वायरल हो गया. इसके अलावा, हमने अपनी पड़ताल में ये भी पाया कि हाथ या उंगलियों पर पसीने या नमी से मिले कंडक्शन (चालन) की वजह से बल्ब जलाना मुमकिन है.
इस तरह के वीडियो से लोगों में वैक्सीन के प्रति नकारात्मकता फैल सकती है और इससे वैक्सीनेशन प्रोग्राम में बाधा पड़ सकती है.
22 सेकंड के इस वीडियो में शख्स ये कहता दिख रहा है, ''मैंने वैक्सीन की पहली डोज ले ली है. मैं जब वैक्सीन लगी जगह पर बल्ब को रखता हूं तो वह जल जाता है, लेकिन किसी और हिस्से में रखने पर ये नहीं जलता है.''
ये वीडियो फेसबुक और WhatsApp दोनों जगह शेयर हो रहा है.
न्यूज चैनल TV9 Bharatvarsh के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर भी इस वीडियो को बिना किसी तथ्य की जांच किए बिना चलाया गया. कुछ अन्य यूट्यूब यूजर्स ने भी इस वीडियो को TV9 से उठाकर अपने हैंडल में चलाया है.
इस तरह के और भी पोस्ट के आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.
हमने ये भी पाया अन्य लोगों ने भी इसी तरह के दावे शेयर किए हैं.
हमने इस वीडियो वाली कई पोस्ट के कमेंट देखें. एक कमेंट में उसी शख्स का वीडियो शेयर किया गया था जिसका बल्ब जलाने वाला वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वो शख्स इस बात को स्पष्ट करता हुआ नजर आ रहा है कि उसका पहला वीडियो एक प्रैंक था जो गलती से वायरल हो गया.
इस वीडियो में उस शख्स ने कहा कि,
जैसा कि शख्स वीडियो में ये कहते नजर आ रहा है कि वीडियो में दिख रहा बल्ब एक इमरजेंसी एलईडी बल्ब है. इसे इनवर्टर बल्ब भी कहा जाता है. ये प्रोडक्ट बाजार में पिछले कुछ सालों से उपलब्ध है. इसे बिजली कटौती के दौरान बल्ब होल्डर में लगाकर इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस बल्ब में 2000 mah या उससे ज्यादा पॉवर की रिचार्जेबल बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे कई अलग-अलग वैरायटी के बल्ब मार्केट में मिल जाते हैं.
ये रिचार्जेबल बल्ब किसी सामान्य होल्डर में लगाने पर एसी (AC) करंट का इस्तेमाल करके जलता है जैसे कि सामान्य बल्ब जलते हैं. और उसी दौरान चार्ज भी होता रहता है. इसके बाद जब बिजली चली जाती है यानी AC स्रोत डिसकनेक्ट हो जाता है तो होल्डर बल्ब के सर्किट को बंद कर देता है और फिर उसमें लगी रिचार्जेबल बैटरी का इस्तेमाल करके ये बल्ब फिर से प्रकाश देने लगता है.
हमने LUMENITE LED के फाउंडर और R&D के हेड डॉ. नोबल इनासू से संपर्क किया, जिन्होंने सबसे पहले रिचार्जेबल एलईडी बल्ब बनाए थे.
डॉ. इनासू ने बताया कि ''ये बल्ब इसलिए जलते हैं क्योंकि इनमें एक रिचार्जेबल बैटरी लगी होती है और जब बल्ब को पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल से जोड़ा जाता है तो ये प्रकाश पैदा करते हैं. आप एल्युमिनियम फॉयल के एक टुकड़े, पानी की एक छोटी बूंद या फिर एक पेपर क्लिप से भी बल्ब को जला सकते हैं.''
ऐसे वीडियो पिछले 4-5 सालों से इंटरनेट पर मौजूद हैं जिनमें इस तरह के बल्ब या 'मैजिक बल्ब' दिखाए गए हैं. और ये कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने से बहुत पहले के हैं.
मतलब साफ है कि ये दावा झूठा है कि कोविड वैक्सीन शरीर के जिस हिस्से में लगाई जाती है उस जगह के संपर्क में लाने से बल्ब जल जाता है.
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